शंकराचार्य स्वरूपानंद पर कानुनी कारवाई क्यों ?
शिर्डी के साईबाबा की पूजाअर्चा करना नादानिया है। वह भगवान नही है। वह सारे धर्म के एकता के प्रतीक नही है। इसीलिए उनकी पूजा करना गलत है।' यहाँ शंकराचार्य स्वरूपानंदजीने गलत क्या कहा? अगर साईबाबा सारे धर्म के एकता के प्रतिक है तो साईबाबाने 'सबका मालिक एक' का विस्तृत विवरण उपदेश तथा आचरण सारे जगत मे प्रस्तुत क्यों नही की? येशु ख्रिस्ट, भगवान श्रीकृष्णा, भगवान बुद्ध तथा मोहम्मद पैगंबर जैसे महान विभुति जैसी विचारधारा साईबाबा के पास क्यों नही? अगर यह विचारधारा साईबाबाने 'साई संस्थान शिर्डी' तथा शिर्डीवासियों को दी है तो वे जगत के सामने क्यों नही लाते? अगर 'सबका मालिक एक' का उपदेश तथा आचरण विस्तृत वर्णन रूप में जगत के सामने साई संस्थान शिर्डी तथा शिर्डीवासी खुला कर देंगे तो ज़रूर जगत में खुशहाली होंगी। जातीय हिंसा, भेदभाव, जातपात, युद्ध, महंगाई जैसे विनाशकारी आपत्ती जगत में न होगी।
साईबाबा की मृत्यु सन १९१८ को हुई। उनके जीवित समय तथा उनके मृत्यु पश्चात 'सबका मालिक एक' का उपदेश विस्तृत वर्णन रूप से घरोघरों में पहुंच जाता तो निस्चितही १९४७ भारत-पाकिस्तान बटवारे वक़्त हिंसा न होती। १९८४ की जातीय हिंसा न होती। बाबरी हिंसा, गोधरा हत्याकांड, इरान-इराक़, इस्राएल-पॅलेस्तिएन युद्ध न होते। कितनी शांती और सुकून होता इस जगत में! जगत का कितना धन बच जाता! कितनी जाने सलामत रहती! अणुबम तैयार न होते।आतंकी हमले न होते। कितना लाभ होता जगत को इस 'सबका मालिक एक' के उपदेश से !
साईबाबा के मृत्युपश्चात उनके नाम पर अनेक लोगों ने अपना काम चला लिया। कई मंदिर बनाई गई। कई संस्थाए चलाए गए। कईयोंने तो 'मैं ही साईबाबा का पुनर्जन्म हूँ' बताके ढोंग किए लेकिन किसी ने भी 'सबका का मालिक एक' का उपदेश विस्तृत रूप में पेश नही किया।
अगर साईबाबा के 'सबका मालिक एक' का उपदेश तथा आचरण जगत के सुख और सुरक्षा का विस्तृत वर्णन शिर्डीसंस्थान या शिर्डीवासियों के पास नही है तो वे भारत सरकार जनहीत द्वारा जागतिक सभी धर्म समभाव परिषद या अमिर खान की सामाजिक कार्यप्रणाली सत्यमेव जयते टीम से तथा जगत मे वास कर रहे बुद्धिवादी मानव जीव से अनुरोध करे की इस 'सबका मालिक एक' का आचरण ढुंढे, प्रवचन बनाए, उपदेश बनाए तो ज़रूर मानव तथा पर्यावरण को लाभ हो। लेकिन साईसंस्थान शिर्डी तथा शिर्डीवासियोंने ऐसा नही किया, केवल साईबाबा के चमत्कार का आधार लेकर शिर्डी गाँव को एक तीर्थक्षेत्रा के रूप मे पेश किया। अगर इन सारे बातों का जवाब शिर्डीसंस्थान या शिर्डीवासियों के पास होता तो ज़रूर शंकराचार्य उपरोक्त टिप्पणी न करते।
अब तक कई लोगों ने साईबाबा पर उंगली ऊठाई, आज शंकराचार्य स्वरूपानंदजीने तो कल कई और लोग होंगे। तो साईसंस्थान शिर्डी तथा शिर्डीवासियों की समजदारी इसी में है की, 'सबका मालिक एक' का आचरण ढूंढे उपदेश ढूंढे तो ज़रूर शिर्डी सारे जगत मे और भी प्रभावशाली तथा विश्वाशांती के प्रतिक का स्थान होगा। तो अब साई संस्थान शिर्डी या शिर्डीवासियोंने शंकराचार्य स्वरूपानंदजी के खिलाफ कानुनी कारवाई दर्ज करवाई, उन्हें अब 'सबका मालिक एक' साईबाबा 'एकता के प्रतिक' कैसे? इसका जवाब तो देना ही होगा। अगर 'सबका मालिक एक' का हल शिर्डी संस्थान तथा शिर्डीवासी जगत के सामने प्रस्तुत करेंगे तो ज़रूर यह दावा करना होगा की शंकराचार्य स्वरूपानंद जातीय भेद निर्माण कर रहें हैं। साईभक्तोकी भावना को भड़का रहें हैं। तो ज़रूर उनपर कानुनी कारवाई की जानी चाहिए।
Comments