5 साल में धनकुबेर हुए गायत्री प्रजापति, अब जब्त होगी संपत्ति!

विधायक बने. इसके बाद ऊंचाइयां छूते चले गए. कभी मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन धूमधाम से मनाकर सपा के शीर्ष नेतृत्व की नजर में आने वाले गायत्री कब सपा परिवार के करीबी बन गए पता ही नहीं चला. उनको फरवरी 2013 में सिंचाई राज्य मंत्री बनाया गया. इसके बाद स्वतन्त्र प्रभार खनन मंत्री पद से नवाजा गया. जनवरी 2014 में उनको इसी विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया.
महज एक साल में गायत्री के हुए तीन प्रमोशन
आरोप लगाया जाता है कि बतौर खनन मंत्री गायत्री ने अकूत संपत्ति एकत्र कर ली. इसी बीच हाई कोर्ट ने खनन विभाग में अनिमियताओं को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दे दिए, तो यूपी सरकार और गायत्री दोनों को जोरदार झटका लगा. 12 सितंबर, 2016 को सीएम अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया. इसे बाद हुए सियासी ड्रामे के बाद अखिलेश सरकार ने उनको फिर से मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया. इस बार उनको फिर परिवहन मंत्रालय की कमान दे दी गई.
केस दर्ज होने के बाद से फरार हो गए गायत्री
यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान गायत्री प्रजापति एक बार फिर तब सुर्खियों में आए, जब सुप्रीम कोर्ट ने उन पर रेप का केस दर्ज करने का यूपी पुलिस को आदेश दिया. इसके बाद से गायत्री फरार चल रहे हैं. उनकी तलाश में यूपी पुलिस भटक रही है. कोर्ट के आदेश के बाद यूपी पुलिस ने गायत्री प्रजापति और उनके सहयोगियों अशोक तिवारी, पिंटू सिंह, विकास शर्मा, चंद्रपाल, रूपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 376डी, 511, 504, 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज किया है. 

गैंगरेप कर अश्लील वीडियो बनाने का आरोप
रेप पीड़िता के मुताबिक, साल 2014 में नौकरी और प्लॉट दिलाने के बहाने गायत्री प्रजापति ने उसे लखनऊ स्थित गौतमपल्ली आवास पर बुलाया. वहां चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया गया. इसके बाद वह होश खो बैठी. बेहोशी की हालत में मंत्री और उसके सहयोगी ने गैंगरेप किया था. इसका अश्लील वीडियो बनाया था. इसी अश्लील वीडियो और तस्वीरों के जरिए गायत्री और उनके सहयोगी 2016 तक उसे और उसकी बेटी को हवस का शिकार बनाते रहे. 7 अक्टूबर 2016 को उसने थाने में इसकी शिकायत की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया केस दर्ज करने का आदेश
पीड़िता की इस शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो वह सूबे के आलाधिकारियों से मिली. इसके बाद भी पुलिस से जब पीड़िता को इंसाफ नहीं किया, तो उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन वहां उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया. इसके बाद भी पीड़िता हार नहीं मानी. वह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को जोरदार झटका देते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि इस मामले में केस दर्ज करके तेजी से जांच की जाए. इस मामले में आठ हफ्ते में रिपोर्ट भी पेश करना है.

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