अंत में.....तुम्हारा पति
तुम्हारा पुत्र हो जाए.....!!!!!
जो लड़का
अपनी मां को
प्रेम नहीं कर सका,
वह कभी
किसी स्त्री को
प्रेम नहीं कर पाएगा,
हमेशा अड़चन
खड़ी होगी..!
क्योंकि हर स्त्री में
कहीं न कहीं
छिपी मां मौजूद है !
हर जगह हर स्त्री मां है !
मां होना स्त्री का
गहरा स्वभाव है !
छोटी सी बच्ची भी
पैदा होती है तो
वह मां की तरह ही
पैदा होती है !
इसलिए गुडियों को
सम्हालने लगती है,
घर-गृहस्थी
बसाने लगती है !
छोटी सी बच्ची !
लेकिन हर लड़की
गहरे में
मां पैदा होती है
और हर पुरुष
अंतिम जीवन के
क्षण तक भी
छोटा बच्चा
बना रहता है !
कोई पुरुष कभी
छोटे बच्चे के
पार नहीं जाता !
हर पुरुष की
आकांक्षा स्त्री में
मां को खोजने की
होती है और
स्त्री की आकांक्षा
पुरुष में बच्चे को
खोजने की होती है ।
इसलिए जब
कोई एक पुरुष
एक स्त्री को
गहरा प्रेम
करता है तो
वह छोटे शिशु
जैसा हो जाता है !
और प्रेम के
गहरे क्षण में
स्त्री मां जैसी हो जाती है !
उपनिषद के
ऋषियों ने
आशीर्वाद दिया है
नव-विवाहित
युगलों को कि
तुम्हारे दस बच्चे
पैदा हों और
अंत में ग्यारहवां
तुम्हारा पति
तुम्हारा पुत्र हो जाए !
उन्होंने बड़ी
ठीक बात कही है !
लेकिन मां से
अगर बच्चे को
प्रेम की सीख
न मिल पाई,
बेशर्त प्रेम की,
फिर कहां सीखेगा..?
तो पहली पाठशाला ही चूक गई !
बेशर्त प्रेम~
ओशो.....♡
तुम्हारा पुत्र हो जाए.....!!!!!
जो लड़का
अपनी मां को
प्रेम नहीं कर सका,
वह कभी
किसी स्त्री को
प्रेम नहीं कर पाएगा,
हमेशा अड़चन
खड़ी होगी..!
क्योंकि हर स्त्री में
कहीं न कहीं
छिपी मां मौजूद है !
हर जगह हर स्त्री मां है !
मां होना स्त्री का
गहरा स्वभाव है !
छोटी सी बच्ची भी
पैदा होती है तो
वह मां की तरह ही
पैदा होती है !
इसलिए गुडियों को
सम्हालने लगती है,
घर-गृहस्थी
बसाने लगती है !
छोटी सी बच्ची !
लेकिन हर लड़की
गहरे में
मां पैदा होती है
और हर पुरुष
अंतिम जीवन के
क्षण तक भी
छोटा बच्चा
बना रहता है !
कोई पुरुष कभी
छोटे बच्चे के
पार नहीं जाता !
हर पुरुष की
आकांक्षा स्त्री में
मां को खोजने की
होती है और
स्त्री की आकांक्षा
पुरुष में बच्चे को
खोजने की होती है ।
इसलिए जब
कोई एक पुरुष
एक स्त्री को
गहरा प्रेम
करता है तो
वह छोटे शिशु
जैसा हो जाता है !
और प्रेम के
गहरे क्षण में
स्त्री मां जैसी हो जाती है !
उपनिषद के
ऋषियों ने
आशीर्वाद दिया है
नव-विवाहित
युगलों को कि
तुम्हारे दस बच्चे
पैदा हों और
अंत में ग्यारहवां
तुम्हारा पति
तुम्हारा पुत्र हो जाए !
उन्होंने बड़ी
ठीक बात कही है !
लेकिन मां से
अगर बच्चे को
प्रेम की सीख
न मिल पाई,
बेशर्त प्रेम की,
फिर कहां सीखेगा..?
तो पहली पाठशाला ही चूक गई !
बेशर्त प्रेम~
ओशो.....♡
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