Skip to main content

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना कैसे हुई ?

1906 की बात है,त्रिवेणी संगम पर कुंभ मेला लगा था। पंडित मालवीय पर धुन सवार थी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। मेले में मालवीय घूम-घूमकर लोगों को यही एक ही बात बता रहे थे। कैसे बीएचयू की स्थापना का उन्होंने पुनीत संकल्प लिया है। लोग उनकी बात सुनते जरूर मगर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते। कुछ लोग अनसुनी कर चले जाते। मगर मालवीय की बातों का एक वृद्ध माता पर जादुई असर हुआ। माताजी नजदीक आईं और पोटली खोलकर एक पैसा मालवीय जी के हाथ में रख दिया। बोलीं-बेटा खर्च में से यही बचा है, ये लेकर रख लो। उस एक पैसे को हाथ में लेकर मालवीय बड़ी देर तक निहारते रहे, फिर उस एक पैसे के चंदे से उन्हें प्रेरणा मिली। यह प्रेरणा थी कि क्यों न चंदा जुटाकर वे विश्वविद्यालय की संकल्पना को धरातल पर उतारें। इसी विचार के दम पर 1300 एकड़ में एक ऐसे संस्थान की स्थापना की, जिसकी कीर्ति पताका आज भी फहरा रही है।

फिर मालवीय जी ने देशभर में चंदे के लिए तूफानी दौरा शुरू किया। वे हैदराबाद के निजाम के पास पहुंचे। निजाम बड़ा कंजूस था। मदद मांगी तो उसने साफ मना कर दिया। जिद्दी मालवीय अड़े रहे, वहां से डिगे नहीं। यह देख परेशान निजाम ने चिढ़ाने के लिए कहा- दान में मेरी यह जूती लेकर जाओ, देने को और कुछ नहीं है मेरे पास। मालवीय ने जूती ले ली और हैदराबाद के प्रसिद्ध चारमीनार जा पहुंचे। वहां निजाम की जूती की नीलामी शुरू कर दी। निजाम की जूती बिकने की बात सुनकर भीड़ जुट गई।

संयोग से निजाम की मां चारमीनार के पास से गुजर रहीं थीं। भीड़ का माजरा पता किया तो पता चला कि मालवीय नामके शख्स ने निजाम की जूती चार लाख में नीलाम कर दी है। यह सुनकर निजाम की मां को बहुत बुरा लगा, उन्होंने सोचा यह जूती नहीं बल्कि उनके निजाम बेटे की इज्जत भरे शहर में नीलाम हुई हैं। गुस्से में उन्होंने निजाम को खबर की। इस पर शर्मिंदा हुए निजाम ने बाद में मालवीय को बुलाकर बड़ा दान दिया। इस तरह पेशावर से लेकर कन्याकुमारी तक अथक दौड़-भाग कर महामना ने उस जमाने में एक करोड़ 64 लाख रुपये का चंदा जुटाया।

काशी नरेश बोले-जितनी जमीन नापोगे, उतनी ही मिलेगी

धनराशि की व्यवस्था हो गई। अब चिंता थी जमीन की। सोचा कि काशी नरेश से मदद लेते हैं। पहुंच गए घाट पर। गंगा स्नान का वक्त था। काशी नरेश डुबकियां लगाकर बाहर आए तो मालवीय ने जमीन मांग ली। हंसते हुए काशी नरेश बोले-जमीन तो दूंगा, मगर शर्त के साथ। शर्त है कि सूरज अस्त होने तक जितनी जमीन पैदल चलकर नाप लोगो, उतनी मिलेगी। मालवीय ने मन में सोचा कि जब निजाम की जूती चार लाख में नीलाम कर सकते हैं तो फिर यह शर्त उनके लिए कौन सी बड़ी बात है। जिद्दी तो थे ही। मालवीय ने जमीन नापनी शुरू कर दी। तब जाकर पंडित मालवीय चार फरवरी 1916 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय की नींव रखने में सफल हुए।

एक और दिलचस्प बात है कि जब मालवीय बीएचयू का सपना आंखों में लिए थे, उन दिनों एनी बेसेंट भी एक विश्विद्यालय की योजना पर काम कर रहीं थीं, उधर दरभंगा के महाराज रामेश्वर सिंह भी काशी में शारदा विद्यापीठ की स्थापना में जुटे थे। इन तीन विश्वविद्यालयों की योजना परस्पर विरोधी थी। आखिरकार मालवीय ने दोनों लोगों से बातचीत कर बीएचयू की स्थापना में सहयोग के लिए राजी कर लिया।

नतीजतन बीएचयू सोसाइटी की 15 दिसम्बर 1911 को स्थापना हुई, जिसके महाराज दरभंगा अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रमुख बैरिस्टर सुंदरलाल सचिव, महाराज प्रभुनारायण सिंह, मालवीय और ऐनी बेसेंट सम्मानित सदस्य रहीं। तत्कालीन शिक्षामंत्री सर हारकोर्ट बटलर की पहल पर 1915 में केंद्रीय विधानसभा से हिंदू यूनिवर्सिटी ऐक्ट पारित हुआ, जिसे तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंज ने फौरन मंजूरी दी।

वसंत पंचमी के मौके पर 14 जनवरी 1916 को गंगातट के पश्चिम, रामनगर के समानांतर काशी नरेश से मिली जमीन पर बीएचयू का शिलान्यास हुआ। देश भर के आमो-खास और राजे-रजवाडों की मौजूदगी में हुए उस समारोह में गांधी जी भी विशेष आमंत्रण पर पधारे थे।

आज यह एशिया का सबसे बड़ा रिहायशी विश्वविद्यालय है। इसके दो परिसर हैं। काशी नरेश की दान की हुई 1300 एकड़ जमीन में मुख्य परिसर है। वहीं दूसरा परिसर मिर्जापुर जिले के बरकछा में है। पूरे 2700 एकड़ में फैला हुआ। 75 से अधिक छात्रावासों में 35 हजार से अधिक विद्यार्थी ज्ञानार्जन करते हैं। तीन दर्जन से अधिक देशों के छात्र भी यहां पढ़ते हैं।

पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जयंती पर उनको शत शत नमन......

Comments

Popular posts from this blog

पहले सेक्स की कहानी, महिलाओं की जुबानी.

क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता।                                                        महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खु‍शकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहन...

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 !!

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 बिजली के समस्या के लिये आप Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 पर अपनी बिजली से सबंधित शिकायत कर सकते है। या Torrent Power ऑफिस जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। या उनके ईमेल id पर भी शिकायत कर सकते हो। To,                            Ass.Manager Torrent Power Ltd चद्ररगन रेसिटेंसी,नियर कल्पतरु जेवर्ल्स,शॉप नंबर-234, दिवा ईस्ट । consumerforum@torrentpower.com connect.ahd@torrentpower.com

Veer Sawarkar BMC Hospital Time Table !! वीर सावरकर सरकारी मुलुंड हॉस्पिटल डॉक्टर का टाइम टेबल !!

       !! Swatantrya veer V.D.Sawarkar !! !! BMC Hospital Veer Savarkar Hospital !! Mahatma Phule Road Hanuman Chowk, Mulund East, Hanuman Chowk, Mulund West, Mumbai, Maharashtra 400081 Open now:    Open 24 hours mcgm.gov.in 022 2163 6225