👉कर्फ्यू (धारा 144)
किसी भी इलाके में सीआरपीसी की धारा-144 के तहत शांति व्यवस्था कायम करने के लिए कर्फ्यू लगाया जाता है। इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है। और जिस जगह भी यह धारा लगाई जाती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं।
इस दौरान सारे कानूनी अधिकार इलाके के मजिस्ट्रेट को दे दिये जाते हैं, जिस पर शांति व्यवस्था को फिर से स्थापित करने की जिम्मेदारी होती है।
👉कर्फ्यू के दौरान सजा का प्रावधान
धारा-144 का उल्लंघन करने वाले या इस धारा का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी धारा-107 या फिर धारा-151 के तहत की जा सकती है। इसके आरोपी को एक साल कैद की सजा भी हो सकती है। वैसे यह एक जमानती अपराध है, इसमें जमानत हो जाती है।
यदि भीड़ अधिकारी का आदेश नहीं मानती है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 145 के अनुसार मुकदमा चलाकर 2 वर्ष का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों की सजा दी जा सकती है। यदि भीड़ गैर-कानूनी है तो आईपीसी की धारा 149 के अनुसार भीड़ को सजा दी जायेगी। भीड़ को आदेश देने वाले अधिकारी को अपराधी नहीं माना जायेगा । उस पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य या केंद्र सरकार की मंजूरी प्राप्त करनी पड़ेगी।
किसी भी इलाके में सीआरपीसी की धारा-144 के तहत शांति व्यवस्था कायम करने के लिए कर्फ्यू लगाया जाता है। इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है। और जिस जगह भी यह धारा लगाई जाती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं।
इस दौरान सारे कानूनी अधिकार इलाके के मजिस्ट्रेट को दे दिये जाते हैं, जिस पर शांति व्यवस्था को फिर से स्थापित करने की जिम्मेदारी होती है।
👉कर्फ्यू के दौरान सजा का प्रावधान
धारा-144 का उल्लंघन करने वाले या इस धारा का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी धारा-107 या फिर धारा-151 के तहत की जा सकती है। इसके आरोपी को एक साल कैद की सजा भी हो सकती है। वैसे यह एक जमानती अपराध है, इसमें जमानत हो जाती है।
यदि भीड़ अधिकारी का आदेश नहीं मानती है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 145 के अनुसार मुकदमा चलाकर 2 वर्ष का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों की सजा दी जा सकती है। यदि भीड़ गैर-कानूनी है तो आईपीसी की धारा 149 के अनुसार भीड़ को सजा दी जायेगी। भीड़ को आदेश देने वाले अधिकारी को अपराधी नहीं माना जायेगा । उस पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य या केंद्र सरकार की मंजूरी प्राप्त करनी पड़ेगी।
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