मोदीजी ने व्यापार डुबो दिया
ऐसा बहुत से लोग बोल रहे है। बिल्कुल जी, इसमें हो सकता है कुछ सच्चाई हो। लेकिन इस स्थिति के लिए क्या सारा ठीकरा केवल मोदी के ही सिर पर फोड़ना ठीक होगा, सोचें, हम भी जिम्मेवार नहीं हैं क्या इस स्थिति के लिए, परन्तु कोई समझने को तैयार ही नहीं है की व्यापार कमजोर क्यो होते जा रहे है। हमारी मानसिकता ये हो गई है कि हम सारी खरीददारी तो आनलाईन करना चाहते है, लेकिन शिकायत करते हैं कि बाज़ार में रौनक नहीं है। हकिकत मे online business ने सब व्यापार को चौपट कर दिया है,अगर हम नहीं चेते तो और हालत खराब हो जायेगी।
स्वीकार सब कर रहे है,व्यापार कम हो गया,वजह कोई नहीं जानना चाह्ता
हकिकत ये है,आज की new पीढी अपनी जरुरत का अधिकतम सामान online ही purchase कर रहे है,किन्तु इसमे हम जाने अनजाने अपने पैरो पर कुल्हाडी मार रहे है
*आप शिकार बन रहे हैं*
भारत का ऑनलाइन मार्किट है कितना बड़ा??जिसका 30% शेयर अमेज़न के पास है और 20-22% फ्लिपकार्ट और बाकी में बाकी सब कम्पनियां।
अफसोस कि कहीं कोई सीधा जबाब नहीं ढूंढ पाया पर अंदाज़ लगा पाया कि कम से कम 10 लाख रुपये प्रति सेकंड सेल है भारत मे ऑनलाइन कम्पनियों की ।
यानी प्रति मिनट 6 करोड़ रुपये मिनट, यानी 360 करोड़ रुपये प्रति घण्टा और एक दिन में लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपये
की बिक्री।
एक साल में लगभग 15 लाख करोड़ की सेल जिसका लगभग 50% सिर्फ 2 कम्पनियां कर रही हैं।
ये पैसा पहले मार्किट में आता था,रोटेट होता था पर अब बस ऑनलाइन सेल में ही जा रहा है
ऊपर से तुर्रा ये की ये बिकता इसीलिए है क्योंकि अक्सर ज्यादा सेल वाली चीजों पर सब्सिडी दे रही है ये कम्पनियां मार्किट से दुकानदार को आउट करने के लिए और इसी हिसाब से अगले 5 साल में कर भी देंगी,फिर अपनी मर्जी के रेट ले लेगी,इनके पास अथाह पैसा है ,जिसका सोर्स कोई नही जान सकता ,
*बडी मुश्किल घड़ी है ये भारत के लिए* .......
गौरतलब है कि कुल gst कलेक्शन एक साल में लगभग 12 लाख करोड़ का है यानी एवरेज 15%( 5/12/18/28 का एवरेज )टेक्स माना जाए तो कुल व्यापार जिस पर gst चार्ज होता है( 0% टेक्स वाली आइटम भी इतनी ही बैठेंगी) वो एक साल में लगभग 80 लाख करोड़ का है,यानी कुल व्यापार का लगभग 20% हिस्सा ऑनलाइन कम्पनियां खींच चुकी हैं
* कहीं ऐसा तो नहीं कि PMC के दिवालिया होने का कारण देश का पैसा विदेश जाना हो ?
* किसी जमाने में ईस्ट इंडिया नाम की विदेशी कम्पनी ने व्यापारी बनकर इस देश में घुसपैठ की थी और हमें गुलाम बना लिया था और आज भी विदेशी ऑनलाइन कम्पनियां हमारे देश के व्यापार पर कब्जा कर रही हैं और हम लोग आने वाले खतरे से अनजान 100 -200- 500 रु की बचत के लालच में अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं ।
* पिछले दिनों देश में जहां जहां बाढ़ आई हुई थी वहां किसी भी ऑनलाइन कम्पनी ने आवश्यक सामग्री नहीं पहुंचाई , वहां स्थानीय दुकानदार ही काम आए ।
*भविष्य के खतरे को पहचानो और बन्द करो ऑनलाइन खरीददारी* ।
*यदि आप व्यापारी हैं अथवा देश के प्रति वफादार है तो इस मैसेज को अधिक से अधिक शेयर करें और सोते हुए लोगों को जगाने का प्रयास करें* ।
ऐसा बहुत से लोग बोल रहे है। बिल्कुल जी, इसमें हो सकता है कुछ सच्चाई हो। लेकिन इस स्थिति के लिए क्या सारा ठीकरा केवल मोदी के ही सिर पर फोड़ना ठीक होगा, सोचें, हम भी जिम्मेवार नहीं हैं क्या इस स्थिति के लिए, परन्तु कोई समझने को तैयार ही नहीं है की व्यापार कमजोर क्यो होते जा रहे है। हमारी मानसिकता ये हो गई है कि हम सारी खरीददारी तो आनलाईन करना चाहते है, लेकिन शिकायत करते हैं कि बाज़ार में रौनक नहीं है। हकिकत मे online business ने सब व्यापार को चौपट कर दिया है,अगर हम नहीं चेते तो और हालत खराब हो जायेगी।
स्वीकार सब कर रहे है,व्यापार कम हो गया,वजह कोई नहीं जानना चाह्ता
हकिकत ये है,आज की new पीढी अपनी जरुरत का अधिकतम सामान online ही purchase कर रहे है,किन्तु इसमे हम जाने अनजाने अपने पैरो पर कुल्हाडी मार रहे है
*आप शिकार बन रहे हैं*
भारत का ऑनलाइन मार्किट है कितना बड़ा??जिसका 30% शेयर अमेज़न के पास है और 20-22% फ्लिपकार्ट और बाकी में बाकी सब कम्पनियां।
अफसोस कि कहीं कोई सीधा जबाब नहीं ढूंढ पाया पर अंदाज़ लगा पाया कि कम से कम 10 लाख रुपये प्रति सेकंड सेल है भारत मे ऑनलाइन कम्पनियों की ।
यानी प्रति मिनट 6 करोड़ रुपये मिनट, यानी 360 करोड़ रुपये प्रति घण्टा और एक दिन में लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपये
की बिक्री।
एक साल में लगभग 15 लाख करोड़ की सेल जिसका लगभग 50% सिर्फ 2 कम्पनियां कर रही हैं।
ये पैसा पहले मार्किट में आता था,रोटेट होता था पर अब बस ऑनलाइन सेल में ही जा रहा है
ऊपर से तुर्रा ये की ये बिकता इसीलिए है क्योंकि अक्सर ज्यादा सेल वाली चीजों पर सब्सिडी दे रही है ये कम्पनियां मार्किट से दुकानदार को आउट करने के लिए और इसी हिसाब से अगले 5 साल में कर भी देंगी,फिर अपनी मर्जी के रेट ले लेगी,इनके पास अथाह पैसा है ,जिसका सोर्स कोई नही जान सकता ,
*बडी मुश्किल घड़ी है ये भारत के लिए* .......
गौरतलब है कि कुल gst कलेक्शन एक साल में लगभग 12 लाख करोड़ का है यानी एवरेज 15%( 5/12/18/28 का एवरेज )टेक्स माना जाए तो कुल व्यापार जिस पर gst चार्ज होता है( 0% टेक्स वाली आइटम भी इतनी ही बैठेंगी) वो एक साल में लगभग 80 लाख करोड़ का है,यानी कुल व्यापार का लगभग 20% हिस्सा ऑनलाइन कम्पनियां खींच चुकी हैं
* कहीं ऐसा तो नहीं कि PMC के दिवालिया होने का कारण देश का पैसा विदेश जाना हो ?
* किसी जमाने में ईस्ट इंडिया नाम की विदेशी कम्पनी ने व्यापारी बनकर इस देश में घुसपैठ की थी और हमें गुलाम बना लिया था और आज भी विदेशी ऑनलाइन कम्पनियां हमारे देश के व्यापार पर कब्जा कर रही हैं और हम लोग आने वाले खतरे से अनजान 100 -200- 500 रु की बचत के लालच में अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं ।
* पिछले दिनों देश में जहां जहां बाढ़ आई हुई थी वहां किसी भी ऑनलाइन कम्पनी ने आवश्यक सामग्री नहीं पहुंचाई , वहां स्थानीय दुकानदार ही काम आए ।
*भविष्य के खतरे को पहचानो और बन्द करो ऑनलाइन खरीददारी* ।
*यदि आप व्यापारी हैं अथवा देश के प्रति वफादार है तो इस मैसेज को अधिक से अधिक शेयर करें और सोते हुए लोगों को जगाने का प्रयास करें* ।
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