तू न थकेगा कभी ! तू न रुकेगा कभी ! तू न मुड़ेगा कभी !

हरिवंशराय बच्चन जी की कविता के माध्यम से मेरे सभी प्यारे "पत्रकार भाई" और सभी "पत्रकार बहनो" के  समूह के लिये, आज के राष्टीय पत्रकार दिवस पर इस कविता के माध्यम से उनको और उनके परिवार वालो को भी बहुत बहुत शुभेच्छा देता हूं।
Mumbai Crime Page
     Editor & Team
     Vinod Chavan.


वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

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