ध्यानी का गुस्सा अलग ही किस्म का होता है, वो किसी को हानि पहुँचाने के लिये, किसी को चोट करने या अपमान करने के लिये नहीं होता !! Osho !!

किसने कहा कि ध्यानी को गुस्सा नहीं करना चाहिये ? भगवान् राम भी समुद्र की हरकत पर गुस्से में आकर धनुष बाण उठा लेते हैं और हमेशा मुस्कराते रहने वाले भगवान् कृष्ण भी महाभारत के युद्ध में रथ का पहिया लेकर दौड़ पड़ते हैं

ध्यानी का गुस्सा अलग ही किस्म का होता है, वो किसी को हानि पहुँचाने के लिये, किसी को चोट करने या अपमान करने के लिये नहीं होता.

ध्यानी एक बहुत जीवंत व्यक्ति है तो उसका गुस्सा भी जीवंत होता है ध्यानी व्यक्ति कोई घोंघा नहीं होता
जो बिना आवाज के रेंगता रहे और
जो चाहे उसे कुचल कर चला जाये

ध्यानी व्यक्ति सिंह की तरह होता है। अकेला, अपने में मगन, दूसरों से बेपरवाह, लेकिन जरूरत हो तो वो दहाड़ता भी है और प्रतिक्रिया भी करता है...।

वो किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता, किसी को परेशान नहीं करता, लेकिन यदि कोई उसकी निजता पर आक्रमण करे तो ध्यानी सिंह की तरह व्यवहार कर सकता है...।

                                                               ओशो

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