आपराधिक अत्याचार को भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 441 के तहत परिभाषित किया गया है। धारा 441, आपराधिक अतिचार: जो कोई अपराध करने के इरादे से दूसरे के कब्जे में या किसी संपत्ति में प्रवेश करता है या ऐसी संपत्ति के कब्जे में किसी भी व्यक्ति को अपमानित या अपमानित या नाराज करता है, या ऐसी संपत्ति पर कानूनी रूप से दर्ज किया गया है, गैरकानूनी रूप से इरादे के साथ रहता है जिससे डराना होता है , ऐसे किसी भी व्यक्ति का अपमान या गुस्सा करना या अपराध करने के इरादे से, 'आपराधिक अतिचार' करना कहा जाता है। धारा 441 में दो अंग हैं। पहला संपत्ति के कब्जे में दूसरे के कब्जे में अपराध करने या इरादे से डराने, अपमान करने या गुस्सा करने के इरादे से संपत्ति में प्रवेश को संदर्भित करता है और दूसरे को कब्जे में रखने के इरादे से संपत्ति में वैध रूप से दर्ज किया गया , ऐसी संपत्ति के कब्जे वाले व्यक्ति को अपमानित या परेशान करना या ऐसा अपराध करने के इरादे से।
क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता। महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खुशकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहना था कि उसने अपना कौमार्य एक ट्रैम्पोलाइन पर खोया। ट्रैम्पोलाइन वह मजबूत और सख्त कैनवास होता है, जिसे स्प्रिंग के सहारे कि
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