आखिरकार,आपके पास सूचना की ताकत है. सत्य आपके साथ है.यह सही है कि ताकतवर लोग और उनके गुर्गे फिर भी आपकी उपेक्षा कर सकते हैं और आपको मानसिक रूप से विक्षिप्त करार दे सकते हैं. आपकी कहानी का बेशक तुरंत कोई प्रभाव होता ना दिखाई पड़े. दुनिया के धंधे बेशक पहले की तरह चलना जारी रहें, लेकिन आपने अपना काम कर दिखाया.यही आपकी उपलब्धि है. पत्रकारिता का सामाजिक दायित्व तब पूरा हो जाता है.जब आप अपने काम के जरिए नैतिक साहस दिखाते हैं.बाक़ी सब समाज और उसके विवेक पर निर्भर करता है.
यह हमें पत्रकारिता के चौथे जरूरी स्तंभ की तरफ ले जाता है. किसी विषय पर अपनी पकड़ को लगातार मजबूत करते रहने की जरूरत.पत्रकार परिभाषित रूप से ही हरफनमौला होते हैं और कुछ विषयों के उस्ताद. हम सभी को जहां तक संभव हो सके ज्यादा से ज्यादा विषयों में पारंगत होने की कोशिश करनी चाहिए. हमें अपने पूर्वग्रहों से भी उबरने का लगातार प्रयास करते रहना चाहिए. एक पत्रकार के लिए इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीतिक शास्त्र, संस्कृति, अर्थशास्त्र और कानून के विषयों पर अपने ज्ञान में लगातार वृद्धि करते रहना जरूरी है. उसे किसी विषय का अनुसरण, सख्त दायरे में रहकर नहीं करना चाहिए. चूंकि आज के दौर में हम ज्ञान को इसी तरह खांचों में बांटते के आदी हो चुके हैं, इसलिए मैं यहां दो विषय चुन रहा हूं: समाजशास्त्र और इतिहास.
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