अनुच्छेद 226 हाईकोर्ट को रिट याचिका में उठाए गए आधारों मुद्दों पर विचार करना होता है और तर्कयुक्त आदेश पारित करना होता है !! सुप्रीम कोर्ट !!


जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की टीम ने कहा, "जब संविधान हाईकोर्ट को राहत देने की शक्ति प्रदान करता है तो उचित मामलों में ऐसी राहत देना कोर्ट का कर्तव्य बन जाता है 

अनुच्छेद 226 हाईकोर्ट को रिट याचिका में उठाए गए आधारों मुद्दों पर विचार करना होता है और तर्कयुक्त आदेश पारित करना होता है !! सुप्रीम कोर्ट !!

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रिट याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों आधारों का ‌निस्तारण करना और उसके बाद एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करना अदालत का कर्तव्य है।

यदि पर्याप्त कारणों के बिना राहत से इनकार कर दिया जाता है तो अदालतें अपना कर्तव्य निभाने में विफल हो जाएंगी।"

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