एक सूफी फकीर मस्जिद में नमाज पढ़ने आता था। कई दिनों तक उसका निरीक्षण बाद एक बार उस मस्जिद में रोज आने वाले एक और नमाजी ने उनसे पूछा, मैं आपसे रोज मिलता हूं। आप प्रार्थना करने आते हैं, लेकिन आपको प्रार्थना करते हुए कभीन ही देखा। आपके होंठ नहीं हिलते। तुम पत्थर की तरह खड़े हो। यह कैसी प्रार्थना है?
सूफी फकीर ने कहा, एक बार मैं रास्ते पर चल रहा था। रास्ते में एक महल था।
महल के द्वार पर एक भिखारी खड़ा था। राजा ने अंदर से आकर भिखारी से पूछा, तुम क्या चाहते हो ?
भिखारी ने कहा, क्या यह तुम मुझसे पूछ रहे हो ?
क्या तुम मुझे देखकर नहीं जानते ?
मेरे पास कपड़े नहीं हैं, मेरा पेट मेरी पीठ से सटा हुआ है, मेरे पास इस कटोरी के अलावा कुछ भी नहीं है।
क्या आप यह सब नहीं देखते हैं ?
फिर आप राजा क्यों बने?
राजा लज्जित हुआ। वह भिखारी के लिए कपड़े, खाना और कुछ पैसे ले आया।
यह दृश्य देखकर मैंने भगवान से भीख माँगना छोड़ दिया। क्या वह सारे संसार का राजा नहीं है ?
उसने देखा होगा कि मुझमें क्या कमी है। वह उसके बदले मुझे कुछ देगा। मैं उनके सामने केवल सच्चे दिल से खड़ा हूं।
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