#बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा, "शादी का वादा तोड़ने मतलब रेप ही माना जाए ऐसा नहीं है ! कोर्ट नें दर्ज रेप की FIR रद्द की,क्यों की वयस्क दोनों शिक्षित बताते हुवे !!
एफआईआर में लगाए गए आरोप धारा 375 के अर्थ के तहत बलात्कार नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में युवक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को जारी रखना केवल अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
शिकायतकर्ता ने युवक के खिलाफ जनवरी 2023 में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसे रद्द करने की मांग को लेकर युवक ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
बेंच ने कहा कि पीड़िता ने अपने घरवालों के पसंद के लड़के से शादी भी कर ली थी, पर शादी चल नहीं पाई। विवाह टूटने के बाद फिर उसने याचिकाकर्ता से संपर्क किया, लेकिन उसने शादी से इनकार कर दिया। इसलिए मामला दर्ज कराया गया है। मामला रद्द करने से पहले बेंच ने याचिकाकर्ता के उस आश्वासन को रिकार्ड किया, जिसमें उसने कहा कि वह शिकायतकर्ता के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और अतीत के रिश्ते के आधार पर उसकी बदनामी नहीं करेगा।
जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की बेंच के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। बेंच ने पाया कि मामले से जुड़े युवक और शिकायतकर्ता दोनों वयस्क और शिक्षित हैं। दोनों एक ही कंपनी में थे। दोनों ने रजामंदी से कई बार शारीरिक संबंध बनाए। इस बीच युवक के घरवालों ने पीड़िता के साथ शादी के रिश्ते को अस्वीकार कर दिया, लेकिन युवक ने कहा कि वह माता पिता को समझा-बुझाकर शादी के लिए मना लेगा। इधर पीड़िता ने अपने माता-पिता के पसंद के लड़के से शादी की सहमति के बावजूद उसने याचिकाकर्ता के साथ संबंध बनाएं।
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