*सौर ऊर्जा से चलने वाली देश की पहली ट्रेन ने शुरू किया सफर, जानिए इसकी खास बातें*
सौर ऊर्जा से चलने वाली देश की पहली ट्रेन ने अपना सफर शुरू कर दिया है। इस ट्रेन से न केवल रेलवे को फायदा होगा, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा होगा। पिछले साल के रेल बजट में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ऐलान किया था कि रेलवे सौर ऊर्जा से अगले 5 सालों में 1,000 मेगावाट बिजली पैदा करेगी। सौर ऊर्जा युक्त डेमू सोलर ट्रेन इसी योजना का हिस्सा है।
पर्यावरण को फायदा
पूरी दुनिया के लिए जब प्रदूषण बड़ा खतरा बनकर उभरा है, ऐसे वक्त में यह ट्रेन एक आस जगाती है। कहा जा रहा है कि प्रति कोच के हिसाब से प्रतिवर्ष 9 टन तक कार्बन डाइ ऑक्साइड कम उत्सर्जित होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस ट्रेन से प्रदूषण कम होगा। इस ट्रेन में कुल आठ बोगियां हैं, जिन पर 16 सोलर पैनल लगे हैं। प्रत्येक पैनल से 300 वॉट बिजली का उत्पादन होगा। सौर ऊर्जा से चलने वाली इस ट्रेन की वजह से रेलवे को प्रतिवर्ष 21 हजार लीटर डीजल की बचत होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे ही सोलर पैनल्स जल्द ही 50 अन्य कोचेज में भी लगाए जाने की योजना बन रही है।
यह ट्रेन पावर बैकअप से लैश है। सोलर पावर सिस्टम से यह ट्रेन करीब 48 घंटे तक चल सकती है। उसके बाद ही ओएचई पावर के लिए स्विच करने की आवश्यकता होगी। यह बैटरी पर 72 घंटे तक का सफर पूरा कर सकती है।
दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब सोलर पैनल्स का इस्तेमाल रेलवे ग्रिड के रूप में हो रहा है। इस ट्रेन को मेक इन इंडिया योजना के तहत बनाया गया है। इसके सोलर पैनल्स की लागत 54 लाख रुपए आई है।
यह ट्रेन फिलहाल दिल्ली के सराय रोहिल्ला स्टेशन से हरियाणा के फारूख नगर स्टेशन के बीच चलेगी। इसकी अधिकतम स्पीड 110 कि.मी. प्रति घंटे हो सकती है।
सौर ऊर्जा से चलने वाली देश की पहली ट्रेन ने अपना सफर शुरू कर दिया है। इस ट्रेन से न केवल रेलवे को फायदा होगा, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा होगा। पिछले साल के रेल बजट में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ऐलान किया था कि रेलवे सौर ऊर्जा से अगले 5 सालों में 1,000 मेगावाट बिजली पैदा करेगी। सौर ऊर्जा युक्त डेमू सोलर ट्रेन इसी योजना का हिस्सा है।
पर्यावरण को फायदा
पूरी दुनिया के लिए जब प्रदूषण बड़ा खतरा बनकर उभरा है, ऐसे वक्त में यह ट्रेन एक आस जगाती है। कहा जा रहा है कि प्रति कोच के हिसाब से प्रतिवर्ष 9 टन तक कार्बन डाइ ऑक्साइड कम उत्सर्जित होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस ट्रेन से प्रदूषण कम होगा। इस ट्रेन में कुल आठ बोगियां हैं, जिन पर 16 सोलर पैनल लगे हैं। प्रत्येक पैनल से 300 वॉट बिजली का उत्पादन होगा। सौर ऊर्जा से चलने वाली इस ट्रेन की वजह से रेलवे को प्रतिवर्ष 21 हजार लीटर डीजल की बचत होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे ही सोलर पैनल्स जल्द ही 50 अन्य कोचेज में भी लगाए जाने की योजना बन रही है।
यह ट्रेन पावर बैकअप से लैश है। सोलर पावर सिस्टम से यह ट्रेन करीब 48 घंटे तक चल सकती है। उसके बाद ही ओएचई पावर के लिए स्विच करने की आवश्यकता होगी। यह बैटरी पर 72 घंटे तक का सफर पूरा कर सकती है।
दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब सोलर पैनल्स का इस्तेमाल रेलवे ग्रिड के रूप में हो रहा है। इस ट्रेन को मेक इन इंडिया योजना के तहत बनाया गया है। इसके सोलर पैनल्स की लागत 54 लाख रुपए आई है।
यह ट्रेन फिलहाल दिल्ली के सराय रोहिल्ला स्टेशन से हरियाणा के फारूख नगर स्टेशन के बीच चलेगी। इसकी अधिकतम स्पीड 110 कि.मी. प्रति घंटे हो सकती है।
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