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RTI क़ानून के उलंघन पर PIO,FAA,IC, पर कब और किन IPC क़लम के तहत लीगल कारवाही की जा सकती हैं !! एडवोकेट ताराचंद !!

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RTI क़ानून के उलंघन पर PIO,FAA,IC, पर कब और किन IPC क़लम के तहत लीगल कारवाही की जा सकती हैं !! एडवोकेट ताराचंद !!

क्या कोई गवाह कोर्ट में, गवाही देने से मना कर सकता हैं ?

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 क्या कोई गवाह कोर्ट में, गवाही देने से मना कर सकता हैं ?

प्रत्येक नागरिक को सरकार के किसी भी फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने इसी के साथ #बांबे हाई कोर्ट के आदेश को पलट दिया।

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#प्रत्येक नागरिक को सरकार के किसी भी फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने इसी के साथ बांबे हाई कोर्ट के आदेश को पलट दिया !! #न्यायमूर्ति अभय एस ओका और #न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा ''भारत का संविधान, अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत, वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। उक्त गारंटी के तहत, प्रत्येक नागरिक को #अनुच्छेद 370 को निरस्त करने समेत सरकार के हर फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। #उन्हें यह कहने का अधिकार है कि वह सरकार के किसी भी निर्णय से नाखुश हैं। #प्रत्येक नागरिक को सरकार के किसी भी फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। #प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम के खिलाफ कोल्हापुर के हटकनंगले पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 153 ए (सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। #वाट्सएप पर प्रोफेसर ने लिखा था कि पांच अगस्त काला दिवस जम्मू-कश्मीर,14 अगस्त हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पाकिस्तान !!

आईपीसी की धारा 153 ए के तहत पत्रकारों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती है !! चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'वे अपना दृष्टिकोण रखने के हकदार हैं !!

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आईपीसी की धारा 153ए के तहत पत्रकारों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती है !! "फ्रीडम ऑफ़ स्पीच" सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या कहें 'फ्री स्पीच' पर अहम टिप्पणी की है !! सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'वे अपना दृष्टिकोण रखने के हकदार हैं !! पत्रकारों कहना है कि भले ही तथ्यों के आधार पर कोई रिपोर्ट गलत ही क्यों नहीं हो,फिर भी उसे लिखने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'वे अपना दृष्टिकोण रखने के हकदार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहाँ कि 'फ्री स्पीच' का मतलब मुकदमे के डर के बिना अपना दृष्टिकोण रखना है.  देश की शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि पत्रकारों को उनके जरिए लिखे गए आर्टिकल को लेकर विभिन्न समुदायों या समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ावा देने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. पिछले कुछ सालों में फ्री स्पीच एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. मीडिया संस्थानों से लेकर राजनीतिक नेताओं तक के ऊपर उनके बयानों और रिपोर्ट्स को...

#bmc The shop near the road of Mulund Colony under T ward was demolished !!

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कवरेज : सतनाम शिंग  #bmc T वार्ड अंतर्गत आने वाले मुलुंड कॉलोनी के सड़क के करीब शॉप को तोड़ा गया !!

Now there can be no jail for not giving maintenance !!

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 अब मेंटेनस न देने पर, नहीं हो सकती जेल !!