अब घूस लेने वाले अधिकारी को ही नहीं, देने वाले व्यक्ति को भी सजा होगी। राज्यसभा के बाद मंगलवार को लोकसभा ने भी इससे जुड़े बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया। निचले सदन में भ्रष्टाचार रोधी (संशोधन) विधेयक पेश करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि विधेयक में ईमानदार अधिकारियों को परेशानी से बचाने के प्रावधान भी किए गए हैं।
नौकरशाहों के खिलाफ जांच से पहले लेनी होगी अनुमति
सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के तहत कानून को सख्त बनाना चाहती है। इससे पारदर्शिता के साथ ही सरकार की जवाबदेही भी बढ़ेगी। बिल पर बहस के दौरान सिंह ने कहा, ‘विधेयक में सुनिश्चित किया गया है कि ईमानदार अधिकारियों को परेशान न किया जा सके। इसके तहत घूस लेना ही नहीं, घूस देना भी अपराध होगा।’
हर स्तर के अधिकारियों को गिरफ्तारी से भी छूट मिलेगी
राज्यमंत्री ने बताया कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले अनुमति लेनी होगी। अब तक संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में अनुमति की जरूरत होती थी। साथ ही अब हर स्तर के अधिकारियों को गिरफ्तारी से भी छूट मिलेगी। राज्यसभा में पिछले सप्ताह 43 संशोधनों के साथ यह विधेयक पारित हो गया था। सिंह ने बताया कि अब भ्रष्टाचार के मामले में अदालतों को दो साल के भीतर फैसला देना होगा।
विधेयक में भ्रष्टाचार के मामलों की जल्द सुनवाई के साथ ही नौकरशाहों को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाली शिकायतों में भी सुरक्षा के प्रावधान रखे गए हैं। विधेयक में घूस लेने वाले अधिकारी की सजा बढ़ाकर कम से कम तीन साल और अधिकतम सात साल कैद कर दी गई है।
नौकरशाहों के खिलाफ जांच से पहले लेनी होगी अनुमति
सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के तहत कानून को सख्त बनाना चाहती है। इससे पारदर्शिता के साथ ही सरकार की जवाबदेही भी बढ़ेगी। बिल पर बहस के दौरान सिंह ने कहा, ‘विधेयक में सुनिश्चित किया गया है कि ईमानदार अधिकारियों को परेशान न किया जा सके। इसके तहत घूस लेना ही नहीं, घूस देना भी अपराध होगा।’
हर स्तर के अधिकारियों को गिरफ्तारी से भी छूट मिलेगी
राज्यमंत्री ने बताया कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले अनुमति लेनी होगी। अब तक संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में अनुमति की जरूरत होती थी। साथ ही अब हर स्तर के अधिकारियों को गिरफ्तारी से भी छूट मिलेगी। राज्यसभा में पिछले सप्ताह 43 संशोधनों के साथ यह विधेयक पारित हो गया था। सिंह ने बताया कि अब भ्रष्टाचार के मामले में अदालतों को दो साल के भीतर फैसला देना होगा।
विधेयक में भ्रष्टाचार के मामलों की जल्द सुनवाई के साथ ही नौकरशाहों को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाली शिकायतों में भी सुरक्षा के प्रावधान रखे गए हैं। विधेयक में घूस लेने वाले अधिकारी की सजा बढ़ाकर कम से कम तीन साल और अधिकतम सात साल कैद कर दी गई है।
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