एक अहम निर्णय देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि गवाह को किसी मामले में अधिवक्ता नियुक्त करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट जस्टिस एके शर्मा ने इस फैसले के साथ ही जिला न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया है, जिसमें गवाह को अधिवक्ता नियुक्त करने का अधिकार दिया गया था।
प्रकरण के अनुसार हर्षनगर गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सिंह तुरकर के विरुद्ध कॉलोनाइजर लाइसेंस निरस्ती के बाद भूखंडों की बिक्री करने का आरोप लगाते हुए दिलीप गंागुली ने उ'च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। इस पर न्यायालय ने कलेक्टर को कार्रवाई के आदेश दिए। बाद में एसडीएम ने अधारताल थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई।
इस प्रकरण में दिलीप गांगुली को अभियोजन साक्षी बनाया गया। इस मामले में दिलीप को न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा इस बात की अनुमति प्रदान कर दी गई कि वह अपनी
तरफ से अधिवक्ता की नियुक्ति कर सकता है। इस प्रक्रिया के विरुद्ध प्रेमसिंह तुरकर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
प्रकरण के अनुसार हर्षनगर गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सिंह तुरकर के विरुद्ध कॉलोनाइजर लाइसेंस निरस्ती के बाद भूखंडों की बिक्री करने का आरोप लगाते हुए दिलीप गंागुली ने उ'च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। इस पर न्यायालय ने कलेक्टर को कार्रवाई के आदेश दिए। बाद में एसडीएम ने अधारताल थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई।
इस प्रकरण में दिलीप गांगुली को अभियोजन साक्षी बनाया गया। इस मामले में दिलीप को न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा इस बात की अनुमति प्रदान कर दी गई कि वह अपनी
तरफ से अधिवक्ता की नियुक्ति कर सकता है। इस प्रक्रिया के विरुद्ध प्रेमसिंह तुरकर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
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