'संरक्षण अधिकारियों' या 'सेवा प्रदाताओं' के साथ-साथ 'आश्रय गृहों' का संपर्क विवरण आसानी से उपलब्ध कराया जाए !! वी द वूमेन ऑफ इंडिया !!
याचिका में तर्क दिया गया है कि 2005 के अधिनियम के सफल कार्यान्वयन और निष्पादन के लिए यह आवश्यक है कि पीड़ित महिलाओं के लिए आवश्यक और समय पर सहायता के लिए संबंधित 'संरक्षण अधिकारियों' या 'सेवा प्रदाताओं' के साथ-साथ 'आश्रय गृहों' का संपर्क विवरण आसानी से उपलब्ध कराया जाए।
एक रिट याचिका में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत घरेलू हिंसा के शिकार लोगों की सुरक्षा के लिए आश्रय गृहों की स्थापना और संरक्षण अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं की नियुक्ति के लिए अधिनियम के अध्याय III के अनिवार्य प्रावधानों के उचित कार्यान्वयन की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि इस उद्देश्य के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के सभी जिलों में, सभी संपर्क विवरणों के साथ 'संरक्षण अधिकारियों'/'सेवा प्रदाताओं'/'आश्रय गृहों' की एक सूची बनाई जाए।
इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइटों पर और प्रत्येक जिले और राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग की वेबसाइट पर भी भी उपलब्ध कराई जाए।
केस टाइटल: वी द वूमेन ऑफ इंडिया बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, WP(c) No.1156/2021
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