नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट किसी भी ऐसे शख्स को बतौर आरोपी समन जारी कर सकता है, जिसके खिलाफ सुनवाई के दौरान सबूत आए हों। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि उक्त शख्स का नाम एफआईआर अथवा चार्जशीट में नहीं होने के बावजूद यदि उसके खिलाफ सबूत हैं और उसका रोल दिखता है तो ट्रायल कोर्ट उसे समन जारी कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी. सथाशिवम की अगुआई वाली संवैधानिक बेंच ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-319 में ट्रायल कोर्ट को इस बात का अधिकार है कि वह सबूत सामने आने पर उस शख्स को बतौर आरोपी समन जारी कर सकता है। चाहे उस शख्स का नाम एफआईआर और चार्जशीट में दर्ज नहीं हो।
मामले के जांच अधिकारी ने यदि उस शख्स को नामजद नहीं भी किया है या फिर उसका नाम चार्जशीट में बतौर आरोपी नहीं भी आया हो तो भी उसे आरोपी बनाया जा सकता है।धारा-319 में कोर्ट को इसका अधिकार है कि वह सबूत होने पर उक्त शख्स को आरोपी बना सकता है। सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स ने अर्जी दाखिल कर उसके खिलाफ लोअर कोर्ट से जारी समन को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट किसी भी ऐसे शख्स को बतौर आरोपी समन जारी कर सकता है, जिसके खिलाफ सुनवाई के दौरान सबूत आए हों। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि उक्त शख्स का नाम एफआईआर अथवा चार्जशीट में नहीं होने के बावजूद यदि उसके खिलाफ सबूत हैं और उसका रोल दिखता है तो ट्रायल कोर्ट उसे समन जारी कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी. सथाशिवम की अगुआई वाली संवैधानिक बेंच ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-319 में ट्रायल कोर्ट को इस बात का अधिकार है कि वह सबूत सामने आने पर उस शख्स को बतौर आरोपी समन जारी कर सकता है। चाहे उस शख्स का नाम एफआईआर और चार्जशीट में दर्ज नहीं हो।
मामले के जांच अधिकारी ने यदि उस शख्स को नामजद नहीं भी किया है या फिर उसका नाम चार्जशीट में बतौर आरोपी नहीं भी आया हो तो भी उसे आरोपी बनाया जा सकता है।धारा-319 में कोर्ट को इसका अधिकार है कि वह सबूत होने पर उक्त शख्स को आरोपी बना सकता है। सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स ने अर्जी दाखिल कर उसके खिलाफ लोअर कोर्ट से जारी समन को चुनौती दी थी।
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