जेल में बंद आरोपी ने बना दिए विशेष सीबीआई जज और वकील के नाम के कागजात
जेल में बंद आरोपी ने दावा कर जज व सरकारी वकील के नाम के फर्जी दस्तावेज तैयार कर कोर्ट में पेश कर दिया। जज ने आरोपी के खिलाफ फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज कर जांच करने का निर्देश दिया है।
मामला पटियाला हाउस अदालत का है और यह आरोपी है लोकेश्वर देव उर्फ उल्हास प्रभाकर जिस पर पांच सौ करोड़ से ज्यादा की ठगी का मुकदमा दर्ज है।
पटियाला हाउस स्थित विशेष सीबीआई जज गुरदीप सिंह सैनी ने थाना तिलक मार्ग एसएचओ को लोकेश्वर व उसके सहयोग के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। सीबीआई कोर्ट में लोकेश्वर, उसकी पत्नी प्रियंका सारस्वत व अन्य लोगों पर प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) का मुकदमा चल रहा है।
पटियाला हाउस स्थित विशेष सीबीआई जज गुरदीप सिंह सैनी ने थाना तिलक मार्ग एसएचओ को लोकेश्वर व उसके सहयोग के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। सीबीआई कोर्ट में लोकेश्वर, उसकी पत्नी प्रियंका सारस्वत व अन्य लोगों पर प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) का मुकदमा चल रहा है।
दिल्ली पुलिस ने 2011 में मुकदमा दर्ज किया था। इसके कुछ समय बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए में मुकदमा दर्ज किया था। ईडी के मामले में आरोपों पर बहस करते हुए लोकेश्वर ने विशेष सीबीआई कोर्ट में कहा कि एजेंसी ने उसके खिलाफ जो दस्तावेज पेश किए हैं, वे फर्जी हैं और ऐसे दस्तावेज वह कहीं भी तैयार कर सकता है।
इसके बाद उसने कोर्ट में दो दस्तावेज पेश किए। एक दस्तावेज विशेष सीबीआई जज गुरदीप सिंह व दूसरा दस्तावेज विशेष अधिवक्ता नवीन कुमार माटा के नाम था। दस्तावेज में लिखा था कि लोकेश्वर की कंपनी में सीबीआई जज व विशेष अधिवक्ता ने एक-एक हजार रुपये निवेश किए थे।
विशेष सीबीआई कोर्ट ने लोकेश्वर से पूछा कि वह जेल में है तो यह दस्तावेज कैसे तैयार किए। इस पर उसनेे कोर्ट को बताया कि उसने यह दस्तावेज मोती नगर स्थित सरकारी स्टांप विक्रेता से तैयार करवाए हैं।
इसके बाद उसने कोर्ट में दो दस्तावेज पेश किए। एक दस्तावेज विशेष सीबीआई जज गुरदीप सिंह व दूसरा दस्तावेज विशेष अधिवक्ता नवीन कुमार माटा के नाम था। दस्तावेज में लिखा था कि लोकेश्वर की कंपनी में सीबीआई जज व विशेष अधिवक्ता ने एक-एक हजार रुपये निवेश किए थे।
विशेष सीबीआई कोर्ट ने लोकेश्वर से पूछा कि वह जेल में है तो यह दस्तावेज कैसे तैयार किए। इस पर उसनेे कोर्ट को बताया कि उसने यह दस्तावेज मोती नगर स्थित सरकारी स्टांप विक्रेता से तैयार करवाए हैं।
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