अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यन स्वामी से कोर्ट ने इस मामले में उनके पेश होने का कानूनी अधिकार यानी लोकस स्टैंडाई पूछा. आजतक से बातचीत में स्वामी ने कहा कि इस मामले में उनका बुनियादी हक ही उनका लोकस स्टैंडाई है.
कोर्ट ने इस मामले की जल्दी सुनवाई की स्वामी की अपील खारिज कर दी. कोर्ट ने ये कहा कि अभी प्राथमिकता के आधार पर और भी कई मामले सुनने हैं, लिहाजा इस मामले की जल्दी सुनवाई फिलहाल मुमकिन नहीं है.
स्वामी के लोकस स्टैंडाई पर कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की अपील पर सवाल उठाया, लेकिन बाद में यह भी कहा कि भविष्य में अगर स्वामी इस मामले में कुछ मेंशन करना चाहें तो उनके लिए लाजिमी होगा कि पहले तमाम पक्षकारों को नोटिस सर्व करें.
लेकिन स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद आजतक से खास बातचीत में कहा कि कोर्ट में उनका लोकस स्टैंडाई काफी मजबूत है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में उनकी रिट याचिका बुनियादी हक को लेकर है. याचिका में मैंने कहा है कि मैं भारत का नागरिक हूं औऱ हिंदू हूं. मेरी आस्था भगवान राम के जन्मस्थान पर पूजा करने की है, लिहाजा मुझे इसका कानूनी अधिकार है. इसकी रक्षा की जाए.
पांच सौ साल किया संघर्ष, तो पांच साल भी इंतजार कर लेंगे!
स्वामी ने कहा, 'ये तो कोर्ट ने मेरी याचिका को अयोध्या मसले के साथ क्लब कर दिया है. कोर्ट चाहे तो मेरी याचिका पर अलग से सुनवाई कर सकता है. यानी सुनवाई साथ हो या अलग से मेरा लोकस स्टैंडाई तो है ही.' स्वामी ने यह भी कहा कि पांच सौ साल से भारतीय सनातन धर्मियों ने इस जगह पूजा करने के लिए संघर्ष किया है, लिहाजा अब पांच हफ्ते, पांच महीने या पांच साल और इंतजार करना पड़े इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
स्वामी ने कहा, 'ये तो कोर्ट ने मेरी याचिका को अयोध्या मसले के साथ क्लब कर दिया है. कोर्ट चाहे तो मेरी याचिका पर अलग से सुनवाई कर सकता है. यानी सुनवाई साथ हो या अलग से मेरा लोकस स्टैंडाई तो है ही.' स्वामी ने यह भी कहा कि पांच सौ साल से भारतीय सनातन धर्मियों ने इस जगह पूजा करने के लिए संघर्ष किया है, लिहाजा अब पांच हफ्ते, पांच महीने या पांच साल और इंतजार करना पड़े इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
बताते चलें कि स्वामी ने एक याचिका लगा कर अयोध्या विवाद के जल्द निपटारे की मांग की थी. आज इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मामले के पक्षकारों को और वक्त देने की जरूरत है और कोर्ट ने मामले की जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया. अदालत से झटका लगने के बाद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी बात कहने के लिए सोशल मीडिया साइट टविटर का सहारा लिया. स्वामी ने इस मामले पर दो टवीट्स किए और कहा कि जो लोग अदालत में मामले को लटकाना चाह रहे थे उन्हें कामयाबी मिली है और वो के लिए दूसरे रास्ते अपनाएंगे.
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