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मोदी के क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद भी तालाब पर अवैध कब्जा

तालाबों और जलाशयों पर अतिक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक भले ही सख्त हो, लेकिन प्रशाासन की मिलीभगत से भूमाफियाओं का कब्जा अब भी बरकरार हैं। जबकि सत्ता संभालने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत समस्त मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को निर्देशित कर रखा है कि जहां कहीं भी तालाबों, पोखरों, टीलों पर अवैध कब्जा हो उसे धराशायी कर न सिर्फ रिपोर्ट दें, बल्कि कब्जा करने वाले भूमाफियाओं पर रासुका के तहत कार्रवाई करें। इसके बावजूद अधिकारी एवं माफियाओं के गठजोड़ से धड़ल्ले से तालाबों और जलाशयों पर हवेलियां तन रही हैं। खासतौत से यह नंगा नाच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में खूब फल-फूल रहा हैं। ताजा मामला वाराणसी के पिंडरा तहसील के सिंधौरा का है, जहां पूरे तालाब को भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा है। यह अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 2016 के आदेश के तहत तत्कालीन सीएम समेत प्रमुख गृह सचिव, डीजीपी, मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारी को उक्त तालाब पर किए गए अतिक्रमण को तत्काल हटाने को कहा है। बतातें हैं सिंधौरा बाजार स्थित लबे रोड से सटा हुआ एक बड़े भूभाग में सैकड़ों साल पुराना तालाब हैं, जो न सिर्फ लोगों के आस्था का केन्द्र है बल्कि सार्वजनिक स्थल होने के चलते बाजार समेत पास-पड़ोंस के लोगों के सभी कर्मकांड भी तालाब के किनारे ही संपंन होते हैं। लेकिन कुकुरमुत्ते की तरह गली-गली में उग आएं अखिलेश राज के गुंडे व माफिया की नजर इस तालाब पर भी पड़ी और असलहों के नोक पर रातोंरात तालाब की भीटा समेत पूरा किनारा कब्जा करते हुए अपनी-अपनी हवेली तान ली। डरे-शहमें ग्रामीण इसकी शिकायत तहसील दिवसों से लेकर थाना दिवसों तक लिखित आवेदी देकर की, लेकिन भूमाफियाओं के आगे प्रशासन मौनी बाबा बना रहा, उल्टे प्रशासन ने ही ग्रामीणों को धमकी दे डाली कि अगर दुबारा शिकायत आई तो अफीम, चरस, गाजा का फर्जी मुकदमा दर्ज कर हवालात में डाल देंगे। पांच साल बाद जैसे ही सूबे में सत्ता बदली और योगी ने कमाल संभाली, गांव वाले मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अवैध अतिक्रमण हटवाने और भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पत्र के जवाब में मुख्यमंत्री ने तत्काल अतिक्रमण हटाने का आदेश वाराणसी के मंडलायुक्त व जिलाधिकारी को तो दी। लेकिन भूमाफिया के धनबल के आगे प्रशासन भी बौना बना हुआ हैं। आरोप है कि तहसील प्रशासन भूमाफियाओं से बड़ी रकम लेकर न सिर्फ तालाब के भीटा एवं किनारों का काफी हिस्सा अपनी दस्तावेजों में उलटफेर कर उनके नाम कर दी है बल्कि ग्रामीणों को धमकाया भी है कि सभी को फर्जी मुकदमें में जेल भेजा जायेगा। परिणाम यह है कि भूमाफिया तेजी से अवैध निर्माण कार्य करा रहे हैं। 
इस संबंध में स्थानीय लोगों द्वारा प्रशासन को अवगत भी कराया जाता है लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। इसे लेकर लोगों में रोष व्याप्त है। उक्त तालाब को लेकर विगत वर्षों भारी विरोध किया गया था। उस दौरान प्रशासन द्वारा पैमाइश भी कराई गई थी लेकिन इसके बाद मामला टायं टायं फिस्स हो गया। परिणामस्वरूप अतिक्रमणकारी पुनः सक्रिय हो गए हैं। परिणाम यह है कि अतिक्रमण के कारण सैकड़ों साल पुराना तालाब अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है। जबकि तालाब का उपयोग स्थानीय लोग नहाने धोने से लेकर पूजा-पाठ व अन्य कर्मकांड तालाब के किनारे ही करते हैं। वर्तमान में समय में गिरते भू-जल स्तर को रोकने के लिए तालाबों का रहना बहुत जरूरी हो गया है। ऐसी स्थिति में भी तालाबों पर अतिक्रमण की बात लोगों के गले नहीं उतर पा रही है। राज्य सरकार भी तालाबों को सुरक्षित करने के प्रयास में लगी हुई है। इसके बावजूद यह स्थिति बनी हुई है। लोगों ने मांग की है कि इसका सुंदरीकरण कराकर इसमें शुद्ध जल भरा जाए ताकि लोग पहले जैसे कार्य के लिए इस तालाब का उपयोग कर सकें। लेकिन सक्षम अधिकारी यह सब देखने के बाद भी मूक दर्शक बने हुए हैं। इस बाबत जब मुख्यमंत्री से बात की गयी तो उन्होंने कहा, सार्वजनिक तालाबों व पोखरी पर किसी ने भी अगर अवैध कब्जा किया है, यह क्षम्य नहीं है। आदेश के बावजूद अगर कार्रवाई नहीं हो रही है तो अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी। अवैध कब्जा तो हर हाल में हटेगा।

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