नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स ने बुधवार को दावा किया है कि घोटाला सामने आने के बाद पंजाब नेशनल बैंक ने अपने 18,000 कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया है. सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) के फैसले के तहत ये कार्रवाई की गई.
सीवीसी ने 3 साल से अपने पद पर जमे अफसरों और 5 साल से अपने पद पर जमे कर्मचारियों के ट्रांसफर का आदेश दिया था. अपने बयान में संगठन ने कहा कि सीवीसी के आदेश के बाद पीएनबी ने अपने 18 हजार कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया है. बैंक के अधिकारी परेशान हैं.
हालांकि पीएनबी के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि हमें इसके बारे में कुछ मालूम नहीं. हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है. सीवीसी जो सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों, बैंकों और विनियामक निकायों पर भ्रष्टाचार को रोक लगाने की संस्था है, ने सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की. इससे पहले पीएनबी ने जनरल मैनेजर लेवल के 18 अधिकारियों को धोखाधड़ी में संदेहास्पद भूमिका की वजह से सस्पेंड कर दिया था.
इसके अलावा जांच के दौरान सीबीआई ने मंगलवार को पंजाब नेशनल बैंक के जनरल मैनेजर राजेश जिंदल को गिरफ्तार किया था. जिंदल अगस्त 2009 से मई 2011 तक मंबई के ब्रांडी हाउस स्थित पीएनबी बैंक के ब्रांच हेड थे.
सीबीआई के एफआईआर के अनुसार 11,300 करोड़ रुपये का पीएनबी घोटाला साल 2017 से 2018 के बीच हुआ. चारों पीएनबी अधिकारी जिनसे पूछताछ हुई है वो एनडीए सरकार के दौरान ही कार्यरत थे.
अगर ये घोटाला 2011 से शुरू होता तो 11,300 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी होती. पीएनबी ने भी पुष्टि की है कि साल 2011 से रोलओवर्स को पूरी देनदारी में शामिल नहीं किया गया है.
इस मामले में मंगलवार को पीएनबी घोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली के साथ धोखाधड़ी करने वाले धोखेबाजों को सरकार पकड़कर रहेगी
सीवीसी ने 3 साल से अपने पद पर जमे अफसरों और 5 साल से अपने पद पर जमे कर्मचारियों के ट्रांसफर का आदेश दिया था. अपने बयान में संगठन ने कहा कि सीवीसी के आदेश के बाद पीएनबी ने अपने 18 हजार कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया है. बैंक के अधिकारी परेशान हैं.
हालांकि पीएनबी के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि हमें इसके बारे में कुछ मालूम नहीं. हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है. सीवीसी जो सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों, बैंकों और विनियामक निकायों पर भ्रष्टाचार को रोक लगाने की संस्था है, ने सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की. इससे पहले पीएनबी ने जनरल मैनेजर लेवल के 18 अधिकारियों को धोखाधड़ी में संदेहास्पद भूमिका की वजह से सस्पेंड कर दिया था.
इसके अलावा जांच के दौरान सीबीआई ने मंगलवार को पंजाब नेशनल बैंक के जनरल मैनेजर राजेश जिंदल को गिरफ्तार किया था. जिंदल अगस्त 2009 से मई 2011 तक मंबई के ब्रांडी हाउस स्थित पीएनबी बैंक के ब्रांच हेड थे.
सीबीआई के एफआईआर के अनुसार 11,300 करोड़ रुपये का पीएनबी घोटाला साल 2017 से 2018 के बीच हुआ. चारों पीएनबी अधिकारी जिनसे पूछताछ हुई है वो एनडीए सरकार के दौरान ही कार्यरत थे.
अगर ये घोटाला 2011 से शुरू होता तो 11,300 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी होती. पीएनबी ने भी पुष्टि की है कि साल 2011 से रोलओवर्स को पूरी देनदारी में शामिल नहीं किया गया है.
इस मामले में मंगलवार को पीएनबी घोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली के साथ धोखाधड़ी करने वाले धोखेबाजों को सरकार पकड़कर रहेगी
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