“ लोक सेवक” शब्द आए है, वे उस व्यक्ति के संबंध में समझे जाएँगे, जो लोक सेवक के पद को वास्तव में धारण किए हुए है।
- यह लोकोक्ति एक प्रचलित कहावत है।
- अर्थ- अजगर को किसी की नौकरी नहीं करनी होती और पक्षी को भी कोई काम नहीं करना होता, ईश्वर ही सबका पालनहार है, इसलिए कोई भी काम मत करो ईश्वर स्वयं देगा। आलसी लोगों के लिए श्री मलूकदास जी का ये कथन बहुत ही उचित है।
2) इसका विस्तार जम्मू और कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर है और यह भारत के बाहर भारत के सब नागरिकों पर भी लागू है।
धारा 2. परिभाषाएँइस अधिनियम में जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -
क. “निर्वाचन” से अभिप्रेत है, कोई निर्वाचन जो किसी अधिनियम के अधीन सांसदों के निर्वाचन या किसी विधान सभा, स्थानीय प्राधिकरण या अन्य लोक प्राधिकरण के निर्वाचन के लिए किसी भी प्रकार किए जाते है।
ख. “लोक कर्तव्य” से अभिप्रेत है, कोई ऐसा कर्तव्य जिसके निर्वहन में राज्य की जनता या समाज की रुचि है।
स्पष्टीकरण – इसमें “राज्य” में केन्द्रीय, प्रान्तीय या राज्य के किसी अधिनियम के अधीन निर्मित नियम या कोई प्राधिकरण या कोई निकाय जो सरकार द्वारा स्वामित्वधीन या नियंत्रनाधीन या सहायता प्राप्त है या कोई सरकारी कम्पनी जैसा कि कम्पनी अधिनियम , 1956 ( 1956 का सं 1) की धारा 617 में परिभाषित है।
धारा 2. परिभाषाएँ
इस अधिनियम में जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -
ग. “लोक सेवक” से अभिप्रेत है-
एक. कोई व्यक्ति जो किसी लोक कर्तव्य के निर्वहन हेतु सरकार की सेवा में हहो अथवा वेतनाधीन हो अथवा इसके लिए कोई फीस, कमीशन या पारिश्रमिक प्रदत्त किया जाता हो,
दो. कोई व्यक्ति जो, किसी स्थानीय निकाय की सेवा में हॉ, वेतनाधीन हो,
तीन. कोई व्यक्ति, जो किसी केन्द्रीय प्रान्तीय या राज्य की किसी विधि के द्वारा या गठित किसी नियम अथवा कॉरपोरेशन या किसी निकाय जो सरकार द्वारा स्वामित्वधीन या निंयत्रणाधीन या सहायता प्राप्त है या कोई सरकारी कम्पनी जैसा कि कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का सं 1) की धारा 617 में परिभाषित है, की सेवा में हो या वेतनाधीन हो,
चार. कोई न्यायाधीश, या विधि द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य व्यक्ति, जिसे स्वयं या किसी समूह के सदस्य के नाते न्याय- निर्णयन का कार्य करता हो,
पाँच कोई व्यक्ति जिसे न्याय-निर्णयन के संबंध में न्यायिलय के न्यायाधीश द्वारा किसी कर्तव्य के निर्वहन हेतु प्राधिकृत किया गया हो एवं इसमें सम्मिलित है न्यायालय द्वारा नियुक्त समापक, प्रापक या आयुक्त,
छः कोई मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति जिसे किसी न्यायालय या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा कोई प्रकरण या विषय, निर्णयन या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो।
सात. कोई व्यक्ति जो ऐसा पद धारण करता हो, जिसके आधार पर वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने या बनाए रखने या पुनरक्षित करने के लिए या निर्वाचन या उसके किसी भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो।
आठ, कोई व्यक्ति जो ऐसा पद धारण करता है जिसके आधार पर वह किसी लोक कर्तव्य का पालन या निर्वहन करने के लिए प्राधिकृत है।
नौ. कोई व्यक्ति जो किसी रजिस्टर्ड सहकारी संस्था के लिए कृषि, उद्योग व्यापार या बैकिंग में लगा हुआ है जिसे केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीय, प्रान्तीय या राज्य सरकार की किसी विधि के अधीन गठित किसी कॉरपोरेशन, प्राधिकरण या निगम द्वारा जो सरकार के स्वामित्वधीन, नियंत्रणाधीन या सहायता प्राप्त है या किसी शासकीय कम्पनी, जैसा कि कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का सं 1) की धारा 617 में परिभाषित है किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्राप्त है या प्राप्त हो रही है, का अध्यक्ष सचिव या अन्य पदाधिकारी है।
दस. कोई व्यक्ति जो किसी सेवा आयोग या किसी अन्य नाम से जाने जाना वाला हो, का अध्यक्ष सचिव या कर्मचारी अथवा ऐसे सेवा आयोग या मंडल द्वारा नियुक्त चयन समितिका सदस्य जिसे किसी परीक्षा संचालन अथवा ऐसे सेवा आयोग या मंडल द्वारा उसकी ओर से किसी चयन हेतु नियुक्त किया गया हो,
ग्यारह. कोई व्यक्ति जो किसी विश्वविद्यालय का उपकुलपति या सदस्य है या किसी अधिवासी निकाय या लोक प्राधिकरण का प्राध्यापक, प्रस्तुतकार, व्याख्याता या कोई अन्य अध्यापक या कर्मचारी चाहे वह किसी भी पदनाम से जाना जाता हो जो परीक्षाओं के संयोजन या संचालन से संबंधित हो,
बारह. कोई व्यक्ति जो किसी शैक्षणिक, सामाजिक, वैज्ञानिक, सांस्कुतिक या अन्य किसी ऐसी संस्था, चाहे जैसे स्थापित की गई हो जिसे केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, या किसी स्थानीय या लोक प्राधिकरण द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त है या प्राप्त कर रही है, का पदाधिकारी या कर्मचारी है।
स्पष्टीकरण 1 – उपर वर्णित उपखण्डों में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति लोक सेवक है चाहे वह सरकार द्वारा नियुक्त किय गया हो या नहीं।
स्पष्टीकरण 2- जहाँ कहीं “ लोक सेवक” शब्द आए है, वे उस व्यक्ति के संबंध में समझे जाएँगे, जो लोक सेवक के पद को वास्तव में धारण किए हुए है, चाहे उस पद के धारण करने में भी कैस विधिक त्रुटि हो।
Comments