धारा 3 विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार-1) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचनाद्वारा ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रों के लिए ऐसे मामलों या मामलों के समुहों के लिए जैसा कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए जैसा वह आवश्यक समझे निम्नां कित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश नियुक्त कर सकती है, अर्थात-
क. इस अधिनियम के अधीन दंडणीय किसी अपराध के लिए और
ख. खंड क में विहीत अपराधों के घटित करने केकिसी षडयंत्र, दुष्प्रेरण या प्रयास के लिए।
2) कोई व्यक्ति विशेष न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए तब तक अर्ह न होगा जबतक कि वह दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) के अधीन सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश या सहायक सत्र न्यायाधीश न हो या न रह चुका हो।
धारा 4 विशेष न्यायाधीशों द्वारा विचारण के प्रकरण-1) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का सं 2) में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी धारा 3 की उपधारा 1 में विनिर्दिष्ट प्रकरणों का विचारण विशेष न्यायाधीशों द्वारा ही किया जाएगा।
2) धारा 3 की उपधारा 1 में विनिर्दिष्ट प्रत्येक अपराध का विचारण उस क्षेत्र के लिए नियुक्त या उस अपराध के विचारण के लिए नियुक्त या यथास्थिति विशेष न्यायाधीश द्वारा किया जावेगा या उस क्षेत्र में यदि एक से अधिक न्यायाधीश है, तो उस न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा जैसा कि केन्द्रीय सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।
3) किसी मामले के विचारण के दौरान, विशेष न्यायाधीश द्वारा धारा याधीश द्वारा धारा 3 में विनिर्दिष्ट अपराधों के अतिरिक्त ऐसे अपराधों की सुनवाई भी कर सकेगा जो दंड प्रकिता संहिता 1973(1974 का सं 2) के अधीन उस अभियुक्त पर उस विचारण के साथ अधिरोपित किए जा सकते है।
4) दंड प्रकिता संहिता 1973(1974 का सं 2) में किसी बात के होते हुए भी विशेष न्यायाधीश अपराध का विचारण दिन – प्रतिदिन के आधार पर करेगा।
धारा 3 विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार-
1) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचनाद्वारा ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रों के लिए ऐसे मामलों या मामलों के समुहों के लिए जैसा कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए जैसा वह आवश्यक समझे निम्नां कित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश नियुक्त कर सकती है, अर्थात-
क. इस अधिनियम के अधीन दंडणीय किसी अपराध के लिए और
ख. खंड क में विहीत अपराधों के घटित करने केकिसी षडयंत्र, दुष्प्रेरण या प्रयास के लिए।
2) कोई व्यक्ति विशेष न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए तब तक अर्ह न होगा जबतक कि वह दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) के अधीन सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश या सहायक सत्र न्यायाधीश न हो या न रह चुका हो।
क. इस अधिनियम के अधीन दंडणीय किसी अपराध के लिए और
ख. खंड क में विहीत अपराधों के घटित करने केकिसी षडयंत्र, दुष्प्रेरण या प्रयास के लिए।
2) कोई व्यक्ति विशेष न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए तब तक अर्ह न होगा जबतक कि वह दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) के अधीन सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश या सहायक सत्र न्यायाधीश न हो या न रह चुका हो।
धारा 4 विशेष न्यायाधीशों द्वारा विचारण के प्रकरण-1) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का सं 2) में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी धारा 3 की उपधारा 1 में विनिर्दिष्ट प्रकरणों का विचारण विशेष न्यायाधीशों द्वारा ही किया जाएगा।
2) धारा 3 की उपधारा 1 में विनिर्दिष्ट प्रत्येक अपराध का विचारण उस क्षेत्र के लिए नियुक्त या उस अपराध के विचारण के लिए नियुक्त या यथास्थिति विशेष न्यायाधीश द्वारा किया जावेगा या उस क्षेत्र में यदि एक से अधिक न्यायाधीश है, तो उस न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा जैसा कि केन्द्रीय सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।
3) किसी मामले के विचारण के दौरान, विशेष न्यायाधीश द्वारा धारा याधीश द्वारा धारा 3 में विनिर्दिष्ट अपराधों के अतिरिक्त ऐसे अपराधों की सुनवाई भी कर सकेगा जो दंड प्रकिता संहिता 1973(1974 का सं 2) के अधीन उस अभियुक्त पर उस विचारण के साथ अधिरोपित किए जा सकते है।
4) दंड प्रकिता संहिता 1973(1974 का सं 2) में किसी बात के होते हुए भी विशेष न्यायाधीश अपराध का विचारण दिन – प्रतिदिन के आधार पर करेगा।
धारा 3 विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार-
1) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचनाद्वारा ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रों के लिए ऐसे मामलों या मामलों के समुहों के लिए जैसा कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए जैसा वह आवश्यक समझे निम्नां कित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश नियुक्त कर सकती है, अर्थात-
क. इस अधिनियम के अधीन दंडणीय किसी अपराध के लिए और
ख. खंड क में विहीत अपराधों के घटित करने केकिसी षडयंत्र, दुष्प्रेरण या प्रयास के लिए।
2) कोई व्यक्ति विशेष न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए तब तक अर्ह न होगा जबतक कि वह दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) के अधीन सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश या सहायक सत्र न्यायाधीश न हो या न रह चुका हो।
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