ठाणे : वैसे तो हिंदू धर्म में किसी इंसान की मौत के बाद उसे श्मशान ले जाकर अंतिम संस्कार किया जाता है लेकिन ठाणे जिले में एक शख्स के परिजन उसका शव लेकर बैंक पहुंच गए। परिजन शव लेकर पंजाब नेशनल बैंक की उल्हासनगर शाखा पहुंचे और शव को बैंक में ले गए। दरअसल, परिजन मृतक के शख्स के खाते से पैसे निकालना चाहते थे लेकिन बैंक ने ऐसा नहीं करने दिया जिसके बाद परिजन मृतक का शव लेकर विरोध स्वरूप बैंक पहुंच गए।
"यह है मामला"
खबरों के अनुसार मृतक गणेश कांबले का बैंक में खाता था। पिछले साल दिसंबर में उसे लकवे का अटैक आने के बाद से ही वो अस्पताल में भर्ती था। काबंले के खाते में 25 हजार रुपए थे और उन्हें निकालने के लिए उसके माता-पिता कई बार बैंक पहुंचे लेकिन बैंक अधिकारियों ने नियमों का हवाला देकर उन्हें लौटा दिया। बैंक का कहना था कि गणेश अपने अकाउंट का अकेला मालिक था और इसलिए सिर्फ वही अपने खाते का उपयोग कर सकता है। लकव के चलते गणेश हिलने-डुलने में असमर्थ था और ऐसे में वो बैंक नहीं आ सकता था।
गणेश की बहन के अनुसार मेरे माता-पिता रोज अस्पताल से बैंक जाते ताकि पैसे निकालकर भाई का इलाज करवाया जा सके। वो अस्पताल में बेहोश पड़ा था और ऐसे में हम कैसे उसके हस्ताक्षर ले सकते थे। हमने उसकी तस्वीर खींचकर भी बैंक अधिकारियों को दिखाई लेकिन वो नहीं माने। हमे उसके इलाज के लिए लोन लेना पड़ा। पिछले हफ्ते बैंक अधिकारियों ने कहा कि वो अस्पताल आकर देखेंगे लेकिन नहीं आए और मेरे भाई की मौत हो गई।
वहीं दूसरी तरफ उल्हासनगर शाखा के अधिकारियों का कहना है कि हम खाताधारक के अलावा ऐसे ही किसी को भी पैसे नहीं दे सकते। हमने उनसे कहा था कि हम उसे देखने अस्पताल आएंगे लेकिन उसकी मौत हो गई।
"यह है मामला"
खबरों के अनुसार मृतक गणेश कांबले का बैंक में खाता था। पिछले साल दिसंबर में उसे लकवे का अटैक आने के बाद से ही वो अस्पताल में भर्ती था। काबंले के खाते में 25 हजार रुपए थे और उन्हें निकालने के लिए उसके माता-पिता कई बार बैंक पहुंचे लेकिन बैंक अधिकारियों ने नियमों का हवाला देकर उन्हें लौटा दिया। बैंक का कहना था कि गणेश अपने अकाउंट का अकेला मालिक था और इसलिए सिर्फ वही अपने खाते का उपयोग कर सकता है। लकव के चलते गणेश हिलने-डुलने में असमर्थ था और ऐसे में वो बैंक नहीं आ सकता था।
गणेश की बहन के अनुसार मेरे माता-पिता रोज अस्पताल से बैंक जाते ताकि पैसे निकालकर भाई का इलाज करवाया जा सके। वो अस्पताल में बेहोश पड़ा था और ऐसे में हम कैसे उसके हस्ताक्षर ले सकते थे। हमने उसकी तस्वीर खींचकर भी बैंक अधिकारियों को दिखाई लेकिन वो नहीं माने। हमे उसके इलाज के लिए लोन लेना पड़ा। पिछले हफ्ते बैंक अधिकारियों ने कहा कि वो अस्पताल आकर देखेंगे लेकिन नहीं आए और मेरे भाई की मौत हो गई।
वहीं दूसरी तरफ उल्हासनगर शाखा के अधिकारियों का कहना है कि हम खाताधारक के अलावा ऐसे ही किसी को भी पैसे नहीं दे सकते। हमने उनसे कहा था कि हम उसे देखने अस्पताल आएंगे लेकिन उसकी मौत हो गई।
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