तिरिभिन्नाट एक्सप्रेस*👹
*अपनी ज़िम्मेदारी मत निभाओ,*
*बस प्रशासन के माथे आओ..*
भिया राम..
..पेले तो कल हुए हादसे में स्वर्ग सिधारे लोगों को श्रद्धसुमन..
..और फिर बात ये के घटना को लेके अब तरे-तरे की बात सामने आ री है..कोई सिस्टम की गलती बता रिया तो कोई हर बार की तरे प्रशासन के माथे आ रिया है..के ट्रैन तेज थी..रोक देना था..आयोजकों की गलती..ने तमाम बात हो री है..
..हमारे न्यूज़ चैनल होन को तो जैसे काम मिल गिया.. "सबसे पेले","सबसे बड़ी खबर","exclusive"ने जने क्या-क्या..
..अब भिया गलती किसी की बी होय 60 लोग तो स्वर्ग सिधार गए..बच्चे,बूढ़े,जवान,महिलाएं.. सब उनमें शामिल थे..
..अब अपना पूछना ये है के भिया ट्रैन जनता के लिए बने रस्ते पे गई के ट्रैन के रस्ते में लोग आये..?
..मेरे को लोग असंवेदनशील के सकते हैं..पर सच्चाई तो ये ही है के रेलवे ट्रेक पर किसी बी समय जाना कानूनन जुर्म है..तो वां पे खड़े क्यों थे..?
..हाँ वां पे आयोजन रोकना प्रशासन की जिम्मेदारी है..पर बीच ट्रेक पे खड़े होना..ने फिर इत्ता मस्त हो जाना के ट्रैन की आवाज ई नी सुन पाओ..तो इसमें कां प्रशासन जिम्मेदार..?
..पूरे देश को इस खबर ने दुखी करा.. सरकारें मुआवजा बांट री है..लोग रो रिये हैं..चैनल-अखबार चिल्ला रिये हैं..8-4 दिन सब होयेगा..ने फिर अपनी जिंदगी पटरी पे लौट आएगी..बस दर्द वंही रहेगा जहां ये जख्म हुआ है..
..तो भाई लोग अपनी गलतियों को किसी के माथे कर देने से जख्म नही भरते..इसलिए सावधानी रखें..प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने से पेले कानून के पालन पे बी ध्यान दो..क्योंकि 2-5 लाख नही आपकी जान अनमोल है..
..फिर से श्रद्धसुमन..
..जा रिया अब..
*अपनी ज़िम्मेदारी मत निभाओ,*
*बस प्रशासन के माथे आओ..*
भिया राम..
..पेले तो कल हुए हादसे में स्वर्ग सिधारे लोगों को श्रद्धसुमन..
..और फिर बात ये के घटना को लेके अब तरे-तरे की बात सामने आ री है..कोई सिस्टम की गलती बता रिया तो कोई हर बार की तरे प्रशासन के माथे आ रिया है..के ट्रैन तेज थी..रोक देना था..आयोजकों की गलती..ने तमाम बात हो री है..
..हमारे न्यूज़ चैनल होन को तो जैसे काम मिल गिया.. "सबसे पेले","सबसे बड़ी खबर","exclusive"ने जने क्या-क्या..
..अब भिया गलती किसी की बी होय 60 लोग तो स्वर्ग सिधार गए..बच्चे,बूढ़े,जवान,महिलाएं.. सब उनमें शामिल थे..
..अब अपना पूछना ये है के भिया ट्रैन जनता के लिए बने रस्ते पे गई के ट्रैन के रस्ते में लोग आये..?
..मेरे को लोग असंवेदनशील के सकते हैं..पर सच्चाई तो ये ही है के रेलवे ट्रेक पर किसी बी समय जाना कानूनन जुर्म है..तो वां पे खड़े क्यों थे..?
..हाँ वां पे आयोजन रोकना प्रशासन की जिम्मेदारी है..पर बीच ट्रेक पे खड़े होना..ने फिर इत्ता मस्त हो जाना के ट्रैन की आवाज ई नी सुन पाओ..तो इसमें कां प्रशासन जिम्मेदार..?
..पूरे देश को इस खबर ने दुखी करा.. सरकारें मुआवजा बांट री है..लोग रो रिये हैं..चैनल-अखबार चिल्ला रिये हैं..8-4 दिन सब होयेगा..ने फिर अपनी जिंदगी पटरी पे लौट आएगी..बस दर्द वंही रहेगा जहां ये जख्म हुआ है..
..तो भाई लोग अपनी गलतियों को किसी के माथे कर देने से जख्म नही भरते..इसलिए सावधानी रखें..प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने से पेले कानून के पालन पे बी ध्यान दो..क्योंकि 2-5 लाख नही आपकी जान अनमोल है..
..फिर से श्रद्धसुमन..
..जा रिया अब..
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