मीडिया में छपी ख़बरों के अनुसार वाघमारे 2012 से श्रीराम सेना का सदस्य है तथा अन्य धार्मिक संगठनों का कार्य भी करता रहा है. 2012 में ही उसने एक सरकारी कार्यालय पर हिन्दू-मुसलमान के बीच तनाव पैदा करने के उद्देश्य से पाकिस्तान का झंडा लहराया था और इस जुर्म में उसे गिरफ्तार भी किया गया था. सोशल मीडिया में श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक के साथ इसकी फोटो भी वायरल हो चुकी है मगर प्रमोद मुतालिक ने इससे किसी प्रकार का संबंध न होने का दावा किया है.
आखिर स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल हो ही गई उसने पत्रकार गौरी लंकेश के हत्यारोपी से सत्य का पता लगा ही लिया. देश के इस मशहूर हत्याकांड में पुलिस को पहले दिन से ही शक था कि इस काण्ड में किसी हिन्दू धार्मिक संगठन का हाथ है जिसकी पुष्टि बहुत से संगठनों ने हत्या के बाद अपने ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से स्वयं ही कर दिया था. ठीक उसी स्टाइल को फॉलो किया गया जब नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या की थी, तब आरएसएस ने मिठाइयां बांट कर खुशियां मनाई थीं और बाद में कह दिया कि गोडसे का आरएसएस से कोई संबंध नहीं है जबकि आज भी उसका पूरा परिवार आरएसएस समर्थक है.
द वायर में छपी खबर के अनुसार तर्कवादी और अन्धविश्वास विरोधी गोविन्द पानसरे और एम एम कुलबर्गी की हत्या भी उसी हथियार से हुई है जिससे गौरी लंकेश को मारा गया है मगर पुलिस को अभी तक वह हथियार नहीं मिला है. बिना हथियार मिले भी फॉरेंसिक के तकनीक से यह पता लगाया जा सकता है.
आखिर स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल हो ही गई उसने पत्रकार गौरी लंकेश के हत्यारोपी से सत्य का पता लगा ही लिया. देश के इस मशहूर हत्याकांड में पुलिस को पहले दिन से ही शक था कि इस काण्ड में किसी हिन्दू धार्मिक संगठन का हाथ है जिसकी पुष्टि बहुत से संगठनों ने हत्या के बाद अपने ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से स्वयं ही कर दिया था. ठीक उसी स्टाइल को फॉलो किया गया जब नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या की थी, तब आरएसएस ने मिठाइयां बांट कर खुशियां मनाई थीं और बाद में कह दिया कि गोडसे का आरएसएस से कोई संबंध नहीं है जबकि आज भी उसका पूरा परिवार आरएसएस समर्थक है.
द वायर में छपी खबर के अनुसार तर्कवादी और अन्धविश्वास विरोधी गोविन्द पानसरे और एम एम कुलबर्गी की हत्या भी उसी हथियार से हुई है जिससे गौरी लंकेश को मारा गया है मगर पुलिस को अभी तक वह हथियार नहीं मिला है. बिना हथियार मिले भी फॉरेंसिक के तकनीक से यह पता लगाया जा सकता है.
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