कोर्ट ने कहा की किसी भी कोर्ट को किसी भी व्यक्ति को 90 दिनों से अधिक समय तक बिना आरोपपत्र के जेल में बंद नहीं रख सकता।
अगर किसी भी आरोपी के ख़िलाफ़ पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र मजिस्ट्रे ने किसी तकनीकी कारण से वापस कर दिया है तो उस स्थिति में आरोपी को स्वतः ज़मानत का अधिकार प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट के दो सदस्यों की पीठ ने कहा कि कोई भी अदालत सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत रिमांड की अवधि को 90 दिनों से आगेनहीं बढ़ा सकता है। कोर्ट ने कहा की किसी भी कोर्ट को किसी भी व्यक्ति को 90 दिनों से अधिक समय तक बिना आरोपपत्र के जेल में बंद नहीं रख सकता।
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