लाइसेंस के पहले वकालत करना वकील साहब के लिए महंगा पड़ गया है। झारखंड राज्य बार कौंसिल ने जमशेदपुर के वकील संजय कुमार झा का लाइसेंस दो साल के लिए रद्द कर दिया है। साथ ही दस हाार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कौंसिल की अनुशासनात्मक कमेटी ने यह फैसला सुनाया है। समिति ने कहा है कि यदि झा चाहें, तो दो साल बाद वह लाइसेंस लेने के लिए अप्लाई कर सकते हैं। कमेटी ने झा पर धोखाधड़ी करने के आरोप को सही पाया है। कौंसिल बनने के बाद पहली बार किसी वकील का लाइसेंस रद्द किया गया है।संजय झा के खिलाफ जमशेदपुर के ही वकील बिंदु धारी सिंह ने कौंसिल में शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि झा को वर्ष 2004 में वकालत का लाइसेंस मिला है। जबकि वह वकालत वर्ष 2001 से कर रहे हैं। प्रमाण देते हुए बताया कि झा ने जमशेदपुर में सीजेएम के पास कुछ पुलिसवालों के खिलाफ शिकायतवाद दायर की थी। उसमें उन्होंने अपने को वकील बताया था। वकालतनामा भी दिया था। वह हाइकोर्ट में भी वकालतनामा दाखिल करते रहे हैं।ड्ढr शिकायत में कहा गया है कि कौंसिल से लाइसेंस लेने के लिए दो वकीलों द्वारा जारी आचरण प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। लेकिन झा ने जो प्रमाणपत्र दिया है, उसमें दोनों वकील के नाम तो दिये गये हैं लेकिन उनके पिता का नाम खाली है।इसी प्रकार वकीलों का इनरोल्ड नंबर भी गलत है। कौंसिल ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश पारित किया।
क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता। महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खुशकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहन...
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