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पत्रकारिता पर एक बार फिर सवालिया निशान ! !एक पत्रकार की कलम!

पत्रकारिता पर एक बार फिर सवालिया निशान !
!एक पत्रकार की कलम!
सच आज लग रहा है, क्यों मैं पत्रकारिता के क्षेत्र में आया, जहां सच तो दिखाया ही नही जा रहा है । जब से टीवी पत्रकारिता शुरू हुई तभी से सिर्फ बनावटीपना और झूठ को परोसने का कार्य किया जा रहा है। न्यूज चैनल में टीआरपी की होड़ ने पत्रकारिता को बहुत पीछे छोड़ दिया है।
क्या गलत है, जब कभी भाजपा सरकार तो कभी कांग्रेस सरकार मीडिया पर कई तरह की बंदिशे लगाती है? सरकारे मीडिया से डरती इसलिए भी नही है क्यों कि सरकार चलाने वालों को जानकारी है कि किसकी कितनी कीमत है। प्रिंट मीडिया की हालत भी किसी से छुपी हुई नही है । मैं सभी को कठघरे में नही लेना चाहता क्यों कि नाममात्र की मीडिया संस्थानों में आज भी मिशन पत्रकारिता को जिन्दा रखने का प्रयास किया जा रहा है।
अभी जो टीवी न्यूज चैनल में उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के बिथिया चैनपुर विधानसभा के विधायक राजेश कुमार मिश्रा के साथ जो हुआ , भगवान करे किसी भी बाप के साथ नही हो । एक तय योजना के तहत एक बेटी ने तथाकथित प्रेमी के साथ मिलकर मां-बाप और भाई के रिश्तों को ही तार-तार कर दिया और इसकी पूरी जिम्मेदारी इन टीवी न्यूज चैनल की ही है। एक बाप ने अपनी बेटी को विवाह करने पर आशीर्वाद भी दे दिया लेकिन इन न्यूज चैनल ने राजेश मिश्रा और उसके परिवार को इस कद्र परेशान किया कि विधायक राजेश मिश्रा ने अपनी पत्नी के साथ आत्महत्या करने की बात कह दी ।  यकीन मानिए जब मैंने अपने आपको राजेश मिश्रा की जगह रख कर घटना की कल्पना की तो मैं बहुत भावुक हो गया और मेरी आंख में आंसू आ गए । टीवी चैनल के इन तथाकथित पत्रकारों से मेरा यह सवाल है कि  अगर साक्षी मिश्रा विधायक की बेटी नही होती तो क्या आप उसकी योजना को कहीं स्थान देते ? मुझे जानकारी है कि अगर साक्षी विधायक की बेटी नही होती तो कोई भी टीवी चैनल उसे पूछता भी नही । विधायक होना ही तो राजेश मिश्रा का कसूर था। टीवी चैनल के इन तथाकथित पत्रकारों को गलत और सही में तो अन्तर करना ही चाहिए ।

मै जाति बंधन को नही मानता , साक्षी ने किसी भी हिन्दू परिवार के लड़के के साथ विवाह किया और वह कानूनन बालिग भी है तो उसका अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से विवाह करे लेकिन उसे किसने अधिकार दिया कि मां-बाप की इज्जत को मीडिया संस्थानों की दुकानों में जाकर दुनिया के सामने उछाले। पच्चीस साल से ज्यादा समय की पत्रकारिता में कई घटनाएं मेरे सामने आई जिसमें लड़के ने एक योजना के तहत संपन्नशाली परिवार की लड़की को जाल में फंसाया और विवाह कर लिया, फिर उसके स्वार्थ सिद्व हुए तो ठीक नही तो छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और ऐसी कई घटनाओं में लडके का परिवार भी योजना में शामिल रहा । मैं यहां साक्षी को मुर्ख मानता हूं जो मां-बाप के प्यार को बंदिशे बता रही थी और यह टीवी चैनल उसे दिखाकर अपने आपको बहुत समझदार समझ रहे थे । अरे भाई, लड़की को दूसरे शहर पढ़ने भेजा और साथ में मां को भेज दिया तो क्या गलत किया ? मां को बेटी के साथ भेजने का कारण तो यही रहा होगा कि बेटी को परेशानी नही झेलनी पड़े और दूसरी ओर एक पति ने भी तो बेटी मोह में अपनी पत्नी को अपने से दूर रखा होगा ।
यह माना जाता है कि धरती पर मां-बाप भगवान का ही रूप है और मां-बाप कभी भी अपनी औलाद के लिए गलत नही कर सकते है लेकिन इस कलयुगी औलाद साक्षी मिश्रा ने तो एक नया ही ट्रेंड शुरू कर दिया । कलयुग में माना जाता है कि स्वर्ग और नरक इस धरती पर ही है और जो जैसा करता है, उसे इसी धरती पर वैसा ही मिलता है । वैसे तो ऐसे विवाह ज्यादा दिन तक नही चलते है लेकिन यह तय है कि साक्षी मिश्रा का यह विवाह आगे तक चला तो उसके परिवार में भी यही इतिहास दोहराया जाएगा । हां साक्षी मैं यह भी बता दूं कि मैं आपके पिताजी को आज से पहले नही जानता था और मेरे इस लेख के पीछे भी आपके पिताजी का कोई हाथ नही है। हां यह जरूर कह दूं कि आने वाले समय में तुम अपनी इस करनी पर बहुुत पछताओगी और फिर याद करोगी अपने मां-बाप और भाई के निश्छल प्रेम और अपनेपन को ।
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