क्या आप सिगरेट छोड़ना चाहते हैं!
शरीर एक यंत्र है। और उस यंत्र में आपने जो आदतें डाली है, उन आदतों को आपको नई आदतों से बदलना पडे़गा, नई बातें सुनकर नहीं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको सिगरेट पीना छोडना है तो आपको ताजगी पैदा करने की दूसरी आदतें डालना पडे़गी। नहीं तो आप कभी नहीं छोड़ पाएंगे।
इसलिए मैं आपको कहता हूँ कि जब भी आपको सिगरेट पीने का ख्याल हो तब दस गहरी श्वास लें, जिससे ज्यादा आक्सीजन भीतर चली जाएगी। तो ताजगी ज्यादा देर रुकेगी, जितनी देर निकोटिन से रुकती है, और ज्यादा स्वाभाविक होगी। यह एक नई आदत है।
जब भी सिगरेट पीने का ख्याल आए, दस गहरी श्वास लें। और श्वास लेने से शुरू मत करें, श्वास निकालने से शुरू करें। जब भी सिगरेट पीने का ख्याल आए एक्झेल करें, जोर से श्वास को बाहर फेंक दें, ताकि भीतर जितना कार्बन डाई आक्साइड है, बाहर चला जाए। फिर जोर से श्वास लें, ताकि जितनी कार्बन डाई आक्साइड की जगह थी उतनी आक्सीजन ले ले। आपके खून में ताज़गी दोड़ जाएगी। तब आप सिगरेट छोड़ सकते हैं। क्योंकि उससे ज्यादा बेहतर, ज्यादा अनुकूल, ज्यादा स्वाभाविक, ज्यादा श्रेष्ठ विधि आपको मिल गई। तो सिगरेट छूट सकती है। नहीं तो कोई उपाय नहीं है।
ओशो
ताओ उपनिषद
शरीर एक यंत्र है। और उस यंत्र में आपने जो आदतें डाली है, उन आदतों को आपको नई आदतों से बदलना पडे़गा, नई बातें सुनकर नहीं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको सिगरेट पीना छोडना है तो आपको ताजगी पैदा करने की दूसरी आदतें डालना पडे़गी। नहीं तो आप कभी नहीं छोड़ पाएंगे।
इसलिए मैं आपको कहता हूँ कि जब भी आपको सिगरेट पीने का ख्याल हो तब दस गहरी श्वास लें, जिससे ज्यादा आक्सीजन भीतर चली जाएगी। तो ताजगी ज्यादा देर रुकेगी, जितनी देर निकोटिन से रुकती है, और ज्यादा स्वाभाविक होगी। यह एक नई आदत है।
जब भी सिगरेट पीने का ख्याल आए, दस गहरी श्वास लें। और श्वास लेने से शुरू मत करें, श्वास निकालने से शुरू करें। जब भी सिगरेट पीने का ख्याल आए एक्झेल करें, जोर से श्वास को बाहर फेंक दें, ताकि भीतर जितना कार्बन डाई आक्साइड है, बाहर चला जाए। फिर जोर से श्वास लें, ताकि जितनी कार्बन डाई आक्साइड की जगह थी उतनी आक्सीजन ले ले। आपके खून में ताज़गी दोड़ जाएगी। तब आप सिगरेट छोड़ सकते हैं। क्योंकि उससे ज्यादा बेहतर, ज्यादा अनुकूल, ज्यादा स्वाभाविक, ज्यादा श्रेष्ठ विधि आपको मिल गई। तो सिगरेट छूट सकती है। नहीं तो कोई उपाय नहीं है।
ओशो
ताओ उपनिषद
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