सजा :
जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाना
सजा - 1 वर्ष कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों हो सकता है।
जो भी व्यक्ति (धारा 334 में दिए गए मामलों के सिवा) जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।
जमानती : गैर-संज्ञेय अपराध है !
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
समझौता :
यह अपराध पीड़ित / चोटिल व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।
यह अपराध पीड़ित / चोटिल व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।
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