IPC धारा 219 के अनुसार, जो कोई लोक सेवक होते हुए, न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में कोई रिपोर्ट, आदेश, अधिमत या विनिश्चय, जिसका विधि के प्रतिकूल होना वह जानता हो, भ्रष्टतापूर्वक या विद्वेषपूर्वक देगा, या सुनाएगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी !!
IPC धारा 220 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 220 के अनुसार, जो कोई किसी ऐसे पद पर होते हुए, जिससे व्यक्तियों को विचारण या परिरोध के लिए सुपुर्द करने का, या व्यक्तियों को परिरोध में रखने का उसे वैध प्राधिकार हो किसी व्यक्ति को उस प्राधिकार के प्रयोग में यह जानते हुए भ्रष्टतापूर्वक या विद्वेषपूर्वक विचारण या परिरोध के लिए सुपुर्द करेगा या परिरोध में रखेगा कि ऐसा करने में वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
Offence : अधिकार रखने वाले व्यक्ति द्वारा परीक्षण या कारावास के लिए प्रतिबद्धता, कौन जानता है कि वह कानून के विपरीत कार्य कर रहा है
Punishment : 7 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : गैर - संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
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