अधिकांश लोगों को पता नहीं होगा लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में सभी की जानकारी लाना अत्यंत सामयिक है।
कल मुम्बई में शिव सेना के कुछ कार्यकर्ता ने नेवल अफ़सर को घर से बाहर निकल कर निर्दयता से पीटा।
पंजाब के मुख्य मंत्री प्रताप सिंह कैरो थे।
प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू थे।
चंडीगढ़ के सिनेमा हॉल में एक फौजी अफसर उनकी पत्नी के साथ फिल्म देख रहे थे और उसी सिनेमा हॉल प्रताप सिंह केरो का बेटा भी फिल्म देख रहा था। उसने फ़ौजी अफ़सर की पत्नी के साथ छेड़खानी की। पति और पत्नी दोनों सिनेमा हॉल से चले गए। फिल्म चलती रही। आधे घंटे में आर्मी ने पूरे सिनेमा हॉल को घेर लिया।
फिल्म समाप्त होने पर हर दर्शक को शांति पूर्वक जाने दिया और मुख्य मंत्री के बेटे को सड़क पर पीटते पीटते आर्मी कैंपस लेे गए।
मुख्य मंत्री को जैसे ही घटना का पता चला तो उनका पता सातवें आसमान पर पहुंच गया।
वे स्वयं आर्मी कैंपस पहुंचे। लेकिन आर्मी ने उनको कैंपस में घुसने तक नहीं दिया।
मामला जवाहर लाल नेहरू तक पहुंचा लेकिन आर्मी ने नेहरू को साफ साफ कह दिया कि यदि समाज में आर्मी ही सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी की जिंदगी कैसे सुरक्षित रह सकती है। उस समय आर्मी चीफ़ थिमैया थे कदाचित उन्होंने भी दो टूक कहा कि जो आर्मी ने किया मै उसका समर्थन करता हूं।
इस हालत में प्रताप सिंह ने गिड़गिड़ा कर लड़के को छोड़ने का अनुरोध किया।
आर्मी ने कायदे से कुटाई करने के बाद ही रिहा किया।
कल मुम्बई में शिव सेना के कुछ कार्यकर्ता ने नेवल अफ़सर को घर से बाहर निकल कर निर्दयता से पीटा।
पंजाब के मुख्य मंत्री प्रताप सिंह कैरो थे।
प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू थे।
चंडीगढ़ के सिनेमा हॉल में एक फौजी अफसर उनकी पत्नी के साथ फिल्म देख रहे थे और उसी सिनेमा हॉल प्रताप सिंह केरो का बेटा भी फिल्म देख रहा था। उसने फ़ौजी अफ़सर की पत्नी के साथ छेड़खानी की। पति और पत्नी दोनों सिनेमा हॉल से चले गए। फिल्म चलती रही। आधे घंटे में आर्मी ने पूरे सिनेमा हॉल को घेर लिया।
फिल्म समाप्त होने पर हर दर्शक को शांति पूर्वक जाने दिया और मुख्य मंत्री के बेटे को सड़क पर पीटते पीटते आर्मी कैंपस लेे गए।
मुख्य मंत्री को जैसे ही घटना का पता चला तो उनका पता सातवें आसमान पर पहुंच गया।
वे स्वयं आर्मी कैंपस पहुंचे। लेकिन आर्मी ने उनको कैंपस में घुसने तक नहीं दिया।
मामला जवाहर लाल नेहरू तक पहुंचा लेकिन आर्मी ने नेहरू को साफ साफ कह दिया कि यदि समाज में आर्मी ही सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी की जिंदगी कैसे सुरक्षित रह सकती है। उस समय आर्मी चीफ़ थिमैया थे कदाचित उन्होंने भी दो टूक कहा कि जो आर्मी ने किया मै उसका समर्थन करता हूं।
इस हालत में प्रताप सिंह ने गिड़गिड़ा कर लड़के को छोड़ने का अनुरोध किया।
आर्मी ने कायदे से कुटाई करने के बाद ही रिहा किया।
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