प्राथमिकी दर्ज करने में देरी बरी होने का आधार नहीं !!
सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की बेंच ने कहा कि केवल रिपोर्ट भेजने में देरी ही आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकती है। जांच अधिकारी पर यह दायित्व है कि वह रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट को संप्रेषित करे।
जांच अधिकारी पर डाला गया दायित्व सार्वजनिक कर्तव्य का दायित्व है। लेकिन इस न्यायालय द्वारा यह माना गया है कि यदि देरी से या किसी चूक के कारण रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है, तो परीक्षण प्रभावित नहीं होगा।
रिपोर्ट प्रस्तुत करने में देरी को हमेशा प्राथमिकी की सत्यता और प्राथमिकी दर्ज करने के दिन और समय को चुनौती देने के आधार के रूप में लिया जाता है।
Comments