आम आदमी की इसी सामजिक प्रतिष्ठा और मान सम्मान बचाने के लिए सीआरपीसी की धारा 41 में संशोधन कर नई धारा '41ए' जोड़ी गई जो 1 नवंबर 2010 से लागू हो गई। इस धारा में स्पष्ट कहा गया है कि सात साल तक की सजा वाले अपराध के मामलों में चाहे जमानतीय हो या गैर जमानतीय नामजद आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उसे लिखित नोटिस दी जाएगी। आरोपी का पक्ष सुने बिना उसकी गिरफ्तारी नहीं होगी। इसका आशय भी साफ है कि जब तक आरोपी के विरुद्ध साक्ष्य एकत्रित न कर लिये जाएं तब तक उसकी गिरफ्तारी न हो। इस संशोधन का दूसरा आशय फर्जी एफआईआर पर भी लगाम लगाना है
क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता। महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खुशकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहना था कि उसने अपना कौमार्य एक ट्रैम्पोलाइन पर खोया। ट्रैम्पोलाइन वह मजबूत और सख्त कैनवास होता है, जिसे स्प्रिंग के सहारे कि
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