एक तरफ महाराष्ट्र में सूखे और गरीबी से लाखों लोग परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में लगभग 25,000 करोड़ रुपये का सालाना राजस्व केवल अधिकारियों और विभागों की अनदेखी के कारण राज्य के खजाने तक पहुंच हीं नहीं पा रहा है। राज्य की लगभग सैकड़ों जमीनें ऐसी हैं, जिन्हें सरकार ने लोगों को लीज पर दिया तो है, लेकिन विभाग की अनदेखी और अधिकारियों के लचर रवैये के चलते सालों पहले ही लीज की अवधि खत्म होने के बाद भी इन लीज को रिन्यू नहीं किया गया है।
लीज पर दी गई इन जमीनों में शाहरुख खान का बंगला, मन्नत की जमीन भी शामिल है, जिसे 1901 में लीज पर दिया गया था। शाहरुख के इस बंगले की लीज का पीरियड वर्ष 1980 में खत्म हो गया था। इतना ही नहीं, कुछ जमीनों पर तो आज भी 50-60 रुपये किराया ही दिया जा रहा है। यह जानकारी एक आरटीआई के माध्यम से सामने आई। मुंबई में इस तरह के नुकसान का अनुमान लगभग 2,700 करोड़ रुपये का माना जा रहा है।
राजस्व प्राप्ति के अन्य स्त्रोतों में से जमीन भी सरकार का एक मुख्य स्त्रोत होता है, जिसे बेचकर या लीज पर देकर सरकार अपने खजाने में बढ़ोतरी करती है। जमीन को लीज पर देने के पीछे मुख्य सिद्घांत है, इंफ्लेशन मुक्त इनवेस्टमेंट करना या किसी विशेष प्रकार की गतिविधि को बढ़ावा देना। इस उद्देश्य के चलते महाराष्ट्र सरकार ने अपनी कई जमीन लोगों को लीज पर दे रखी है। लेकिन लीज पर दे चुकी अपनी ही जमीनों की सुध लेने की फुरसत सरकार के पास नहीं है। लगभग 80 और 90 के दशक में खत्म हो चुकी कई लीजों को भी सरकार ने आजतक रिन्यू नहीं किया है। आलम यह है कि अभी भी मुंबई के कई पॉश इलाकों से सरकार 40 और 50 रुपए ही किराया वसूल आ रहा है।
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त रह चुके और वर्तमान आरटीआई ऐक्टिविस्ट, शैलेश गांधी ने एक आरटीआई के माध्यम से यह आंकड़े उपलब्ध कराए हैं। शैलेश गांधी ने बताया कि मैंने 2005 में ही महाराष्ट्र में चल रहे इस पूरे गबन की जानकारी, तत्कालीन चीफ सेके्रटरी, प्रेम कुमार को लिखित में उपलब्ध कराई थी, जिसके बाद इस पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया। लेकिन लगभग 8 सालों तक इस विषय पर चर्चा के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
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