नकली एचआईवी निगेटिव सर्टिफिकेट का खेल
युगांडा की राजधानी कंपाला में निजी क्लीनिक नौकरी तलाश करने वालों के लिए नक़ली एचआईवी निगेटिव सर्टिफिकेट बेच रहे हैं।
बीबीसी अफ्रीका की संवाददाता कैथरीन बारुहंगा की एक गुप्त छानबीन में ये बात सामने आई है।
नौकरी पाने, विदेश जाने या सेक्सुअल पार्टनर को अंधेरे में रखने के लिए फर्जी एचआईवी निगेटिव वाले प्रमाणपत्र बनवाए जाने के कई मामले सामने आ रहे हैं।
बीबीसी अफ्रीका की टीम सच्चाई का पता लगाने के लिए कंपाला के कई क्लीनिक में पहुंची। वे वहां नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार के रूप में पहुंचे जो एचआईवी पॉजिटिव हैं।
सामाजिक कलंक
कैथरीन ने अपने सहयोगियों के साथ एचआईवी निगेटिव करें फर्जी सर्टिफिकेट की बिक्री के मामले की तह तक पहुंचने के लिए कई हफ्ते से यहां डेरा डाले हुए हैं और लोगों से पूछताछ कर रहे हैं।
अधिकांश लोग इस मामले में किसी तरह की बातचीत से बचते नजर आए क्योंकि युगांडा में एचआईवी को बहुत बड़े सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है।
बीबीसी अफ्रीका की संवाददाता कैथरीन बारुहंगा की एक गुप्त छानबीन में ये बात सामने आई है।
नौकरी पाने, विदेश जाने या सेक्सुअल पार्टनर को अंधेरे में रखने के लिए फर्जी एचआईवी निगेटिव वाले प्रमाणपत्र बनवाए जाने के कई मामले सामने आ रहे हैं।
बीबीसी अफ्रीका की टीम सच्चाई का पता लगाने के लिए कंपाला के कई क्लीनिक में पहुंची। वे वहां नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार के रूप में पहुंचे जो एचआईवी पॉजिटिव हैं।
सामाजिक कलंक
कैथरीन ने अपने सहयोगियों के साथ एचआईवी निगेटिव करें फर्जी सर्टिफिकेट की बिक्री के मामले की तह तक पहुंचने के लिए कई हफ्ते से यहां डेरा डाले हुए हैं और लोगों से पूछताछ कर रहे हैं।
अधिकांश लोग इस मामले में किसी तरह की बातचीत से बचते नजर आए क्योंकि युगांडा में एचआईवी को बहुत बड़े सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है।
युगांडा में एड्स पीड़ित
युगांडा में एड्स पीड़ित
सराहा कंपाला के एक छोटे इलाके में रहती हैं। उन्होंने पहचान जाहिर नहीं करने का आश्वासन दिए जाने पर कैथरीन से बात की।
सराहा ने बीबीसी को बताया, "मुझे काम की सख्त जरूरत है। मैं 'सिंगल मदर' हूं। यदि मैंने कंपनी को एचआईवी पॉजिटिव रिजल्ट वाले सर्टिफिकेट दिखाए तो मुझे वे नौकरी नहीं देंगे। इसलिए मुझे फर्जी प्रमाण पत्र बनवाना पड़ा।"
कंपाला के जिन क्लीनिकों में फर्जी एचआईवी निगेटिव सर्टिफिकेट बेचे जा रहे हैं वे यहां के छोटे-छोटे निजी क्लीनिक हैं। ऐसे क्लीनिकों की संख्या सैंकड़ों में हैं।
इन क्लीनिकों में मुट्ठी भर कर्मचारी होते हैं, जबकि डॉक्टर कभी-कभी नजर आते हैं। हां, जांच करने वाले नर्स और लेबोरेटरी इंचार्ज जरूर मौजूद होते हैं।
युगांडा के एड्स पीड़ित "कंपनियां डरती हैं कि एचआईवी लोगों की कार्यक्षमता घटा देती है, इसलिए वे एड्स पीड़ितों को नौकरी देने से कतराते हैं।"
युगांडा के एड्स पीड़ित
कैथरीन और उनकी टीम ने ऐसे 15 क्लिक करें क्लीनिक का दौरा किया। इनमें से 12 क्लीनिक उन्हें फर्जी सर्टिफिकेट देने के लिए तैयार हो गए।
एक लेबोरेटरी टेक्नीशियन ने बताया कि इस तरह से फर्जी सर्टिफिकेट देना उनके लिए बेहद जोखिम भरा है और पकड़े जाने पर उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
थोड़ा मोलभाव करने के बाद वह लेबोरेटरी टेक्नीशियन 20 डॉलर में एक फर्जी सर्टिफिकेट देने के लिए राजी हो गया।
इस फर्जी सर्टिफिकेट को देख कर कोई नहीं कह सकता कि यह असली नहीं है। इसमें क्लीनिक की आधिकारिक मुहर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता का हस्ताक्षर तक मौजूद था।
सराहा कंपाला के एक छोटे इलाके में रहती हैं। उन्होंने पहचान जाहिर नहीं करने का आश्वासन दिए जाने पर कैथरीन से बात की।
सराहा ने बीबीसी को बताया, "मुझे काम की सख्त जरूरत है। मैं 'सिंगल मदर' हूं। यदि मैंने कंपनी को एचआईवी पॉजिटिव रिजल्ट वाले सर्टिफिकेट दिखाए तो मुझे वे नौकरी नहीं देंगे। इसलिए मुझे फर्जी प्रमाण पत्र बनवाना पड़ा।"
कंपाला के जिन क्लीनिकों में फर्जी एचआईवी निगेटिव सर्टिफिकेट बेचे जा रहे हैं वे यहां के छोटे-छोटे निजी क्लीनिक हैं। ऐसे क्लीनिकों की संख्या सैंकड़ों में हैं।
इन क्लीनिकों में मुट्ठी भर कर्मचारी होते हैं, जबकि डॉक्टर कभी-कभी नजर आते हैं। हां, जांच करने वाले नर्स और लेबोरेटरी इंचार्ज जरूर मौजूद होते हैं।
युगांडा के एड्स पीड़ित "कंपनियां डरती हैं कि एचआईवी लोगों की कार्यक्षमता घटा देती है, इसलिए वे एड्स पीड़ितों को नौकरी देने से कतराते हैं।"
युगांडा के एड्स पीड़ित
कैथरीन और उनकी टीम ने ऐसे 15 क्लिक करें क्लीनिक का दौरा किया। इनमें से 12 क्लीनिक उन्हें फर्जी सर्टिफिकेट देने के लिए तैयार हो गए।
एक लेबोरेटरी टेक्नीशियन ने बताया कि इस तरह से फर्जी सर्टिफिकेट देना उनके लिए बेहद जोखिम भरा है और पकड़े जाने पर उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
थोड़ा मोलभाव करने के बाद वह लेबोरेटरी टेक्नीशियन 20 डॉलर में एक फर्जी सर्टिफिकेट देने के लिए राजी हो गया।
इस फर्जी सर्टिफिकेट को देख कर कोई नहीं कह सकता कि यह असली नहीं है। इसमें क्लीनिक की आधिकारिक मुहर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता का हस्ताक्षर तक मौजूद था।
युगांडा में फर्जी एचआईवी सर्टिफिकेट
फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने वाले अधिकतर लोगों को युगांडा की एचआईवी नीति से शिकायत है।
पिछले कई सालों से युगांडा को एचआईवी से संघर्ष करने वाले एक अगुआ के रूप में देखा जाने लगा था।
20 साल पहले युगांडा में हर पांचवां व्यक्ति एचआईवी वायरस से संक्रमित था। सरकार ने तुरंत पहल की और जोर शोर से एड्स अभियान चलाया।
सरकार की पहल का असर कुछ यूं हुआ कि साल 2005 तक एड्स से संक्रमित रोगियों की संख्या में 6।3 फीसदी की गिरावट आ गई।
लेकिन हाल के कुछ वर्षों में एचआईवी के मामले फिर से बढ़ने शुरू हो गए और बढ़ते बढ़ते यह साल 2012 में 7।2 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया।
एक बार फिर से सरकार और एड्स कार्यकर्ताओं ने एचआईवी संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए कमर कस ली है।
एड्स के खिलाफ अभियान के तहत "जांच कराएं" की तख्तियां कंपाला में हर जगह लगा दी गई ताकि अधिक से अधिक लोगों के स्टेटस का पता चल सके।
पिछले कई सालों से युगांडा को एचआईवी से संघर्ष करने वाले एक अगुआ के रूप में देखा जाने लगा था।
20 साल पहले युगांडा में हर पांचवां व्यक्ति एचआईवी वायरस से संक्रमित था। सरकार ने तुरंत पहल की और जोर शोर से एड्स अभियान चलाया।
सरकार की पहल का असर कुछ यूं हुआ कि साल 2005 तक एड्स से संक्रमित रोगियों की संख्या में 6।3 फीसदी की गिरावट आ गई।
लेकिन हाल के कुछ वर्षों में एचआईवी के मामले फिर से बढ़ने शुरू हो गए और बढ़ते बढ़ते यह साल 2012 में 7।2 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया।
एक बार फिर से सरकार और एड्स कार्यकर्ताओं ने एचआईवी संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए कमर कस ली है।
एड्स के खिलाफ अभियान के तहत "जांच कराएं" की तख्तियां कंपाला में हर जगह लगा दी गई ताकि अधिक से अधिक लोगों के स्टेटस का पता चल सके।
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