Minority reservation: HC verdict from the Supreme Court refused to stop at . सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को दिया 'थर्ड जेंडर' का दर्जा, आरक्षण देने का भी आदेश सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को दिया 'थर्ड जेंडर' का दर्जा, आरक्षण देने का भी आदेश
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने किन्नरों को पुरुष और महिलाओं से इतर 'थर्ड जेंडर' का दर्जा दिया। दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है, जब 'थर्ड जेंडर' को औपचारिक ढंग से पहचान मिली है। इससे पहले तक किन्नरों को अपना जेंडर बताते वक्त मजबूरी में मेल या फीमेल लिखना पड़ता था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किन्नरों को सामाजिक पहचान दिए जाने से जुड़े कानूनों के अभाव में उनके साथ ज्यादती को जारी रहने नहीं दिया जा सकता।
आरक्षण और अन्य सहूलियतें भी
- कोर्ट ने कहा कि किन्नरों को शिक्षण संस्थानों में दाखिले के अलावा नौकरी 'थर्ड जेंडर' के आधार पर दिए जाएं।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह किन्नरों को सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा माने।
- कोर्ट ने कहा कि किन्नरों को ओबीसी माना जाएगा और उसी आधार पर शिक्षा और नौकरियों के क्षेत्र में आरक्षण दिया जाएगा।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि किन्नरों के लिए केंद्र और राज्य सरकारें समाज कल्याण से जुड़े कार्यक्रम लाएं। इनके बारे में लोगों के बीच सामाजिक चेतना के कार्यक्रम भी चलाए जाएं।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यों को किन्नरों की विशेष जरूरतों के मद्देनजर सार्वजनिक शौचालय और मेडिकल सेंटर बनवाने चाहिए।
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