वॉशिंगटन। दुर्घटनावश हुए एक आविष्कार की वजह से दुनिया की सबसे पतली सीसे की चादर बनाना संभव हो पाया है। सीसे की यह चादर एक अणु के बराबर पतली है।
कॉर्नेल और जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्म के वैज्ञानिकों की ओर से दुनिया की सबसे पतली सीसे की चादर का आविष्कार अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज किया जाएगा।
सीसे का चौकोर टुकड़ा इस कदर पतला है कि इसके सिलिकॉन और ऑक्सीजन परमाणुओं को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी के जरिए साफ-साफ देखा जा सकता। प्रोफेसर डेविड ए मुलर की प्रयोगशाला में शीशे के इस चौकोर टुकड़े की पहचान की गई। मुलर ने कहा कि मोटाई में महज दो परमाणु इसे दो आयामी बना देते हैं और इस सीसे का आविष्कार दुर्घटनावश हुआ था।
वैज्ञानिक एक चिकन वायर क्रिस्टल स्वरूप में कार्बन परमाणुओं की दो आयामी चादर ग्राफीन बना रहे थे। यह तांबे की पतली पट्टी पर बनाया जा रहा था कि तभी उन्होंने ग्राफीन पर कुछ गंदगी देखी और पड़ताल के बाद पाया कि यह तो रोजमर्रा के ग्लास-सिलिकॉन और ऑक्सीजन के तत्वों से बने हैं।
कॉर्नेल और जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्म के वैज्ञानिकों की ओर से दुनिया की सबसे पतली सीसे की चादर का आविष्कार अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज किया जाएगा।
सीसे का चौकोर टुकड़ा इस कदर पतला है कि इसके सिलिकॉन और ऑक्सीजन परमाणुओं को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी के जरिए साफ-साफ देखा जा सकता। प्रोफेसर डेविड ए मुलर की प्रयोगशाला में शीशे के इस चौकोर टुकड़े की पहचान की गई। मुलर ने कहा कि मोटाई में महज दो परमाणु इसे दो आयामी बना देते हैं और इस सीसे का आविष्कार दुर्घटनावश हुआ था।
वैज्ञानिक एक चिकन वायर क्रिस्टल स्वरूप में कार्बन परमाणुओं की दो आयामी चादर ग्राफीन बना रहे थे। यह तांबे की पतली पट्टी पर बनाया जा रहा था कि तभी उन्होंने ग्राफीन पर कुछ गंदगी देखी और पड़ताल के बाद पाया कि यह तो रोजमर्रा के ग्लास-सिलिकॉन और ऑक्सीजन के तत्वों से बने हैं।
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