नई दिल्ली। करीब 40 वर्ष पुराने पूर्व रेलमंत्री स्व. ललित नारायण मिश्र हत्याकांड में दिल्ली की कक्कड़डूमा कोर्ट क्षरा सोमवार को फैसला सुनाया जा सकता है। कोर्ट ने 10 नवंबर को फैसला आज तक के लिए टाल दिया था।
गौरतलब है कि मिश्र की हत्या 39 साल पहले 2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर कर दी गई थी। उसके बाद 24 जनवरी 1975 को पटना के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आरोप पत्र दाखिल हुआ। चार साल यहां मामले की निरंतर सुनवाई हुई। फेयर ट्रायल की मांग पर 17 दिसंबर 1979 को सर्वोच्च न्यायालय ने मुकदमे की सुनवाई के लिए केस को दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित किया।
घटना तारीखों में -
2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर बड़ी रेल लाइन के उद्घाटन के मौके पर हुए बम विस्फोट में जख्मी तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की मौत अगले ही दिन 3 जनवरी को हो गई थी।
24 जनवरी 1975 को पटना के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आरोप पत्र दाखिल हुआ। चार साल यहां मामले की निरंतर सुनवाई हुई।
17 दिसंबर 1979 को सर्वोच्च न्यायालय ने फेयर ट्रायल की मांग पर मुकदमे की सुनवाई दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर किया।
1981 में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, दिल्ली की अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। इस दौरान तीन अभियुक्तों राम कुमार, रामाश्रय व विनयानंद की अनुपस्थिति ने उन्हें फरार घोषित कर दिया।
अन्य अभियुक्त संतोषानंद, सुदेवानंद, गोपाल जी, रंजन द्विवेदी, विनयानंद, रामकुमार व रामाश्रय के भाग्य का फैसला होना है। मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के चार वकील भी स्वर्ग सिधार चुके हैं।
17 जज ने अब तक इस मामले की सुनवाई की है। 151 गवाहों की गवाही हो चुकी है। केस की फाइल दस हजार पृष्ठों से अधिक की हो गई है। अभी इसकी सुनवाई कड़कड़डूमा अदालत में हो रही है।
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