वाशिंगटन। पुराने लैपटॉप की बेकार बैटरियां भारत सहित अन्य विकासशील देशों की झुग्गियों को जगमगाने में इस्तेमाल की जा सकती हैं। हालिया शोध के नतीजों में यह जानकारी दी गई है।
अमेरिका के सान जोस में आयोजित एक कांफ्रेंस में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, पुराने लैपटॉप की फेंकी हुई बैटरी में एक एलईडी लाइट को एक साल तक रोजाना चार घंटे तक जलाने जितनी ऊर्जा पाई गई है। आइबीएम इंडिया के शोधकर्ताओं के मुताबिक, हर साल पचास लाख से भी अधिक लैपटॉप की लिथियम-आयन बैटरियां खराब हो जाती हैं। इन बैटरियों के इस्तेमाल से बिजली की किल्लत से जूझ रहे विकासशील देशों के घरों को रोशन किया जा सकता है। एमआइटी टेक्नोलॉजी रिव्यू के मुताबिक, एलईडी लाइट्स को सौर इकाइयों, रीचार्जेबल बैटरी से जोड़ना संभव तो है। लेकिन बेकार बैटरियां इस तकनीक की लागत कई गुना कम कर सकती हैं। प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने वाली स्मार्ट एनर्जी ग्रुप के शोधकर्ता विकास ने कहा कि यह तकनीक अपेक्षाकृत कम लागत की है। शोधकर्ताओं ने लैपटॉप की बेकार बैटरी की पैकेजिंग को खोलकर ऊर्जा संग्रहण यूनिट को बाहर निकाला। इनमें से सुचारू रूप से काम कर रही यूनिटों को अलग कर लिया। ओवर हीटिंग से बचाने के लिए इन्हें चार्जिग डोंगल के सर्किट जोड़ने के बाद बेंगुलरु में रहने वाले पांच लोगों को दे दिया गया। ये सभी लोग झुग्गियों में रहने वाले थे। तीन महीने बाद इन लोगों ने बताया कि बैटरी अच्छी तरह काम कर रही है.
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