दो-दो रुपये के अखबार बेचकर अपनी रोजी रोटी कमाने वाले शिवकुमार आज करोड़ों के मालिक हैं और ऐसा हो पाया है उनकी कड़ी मेहनत और लगन के कारण अखबार बेचकर गुजर बसर करने वाले शिवकुमार को एक जर्मन कंपनी में नौकरी मिल गई है.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक शिवकुमार को एक जर्मन कंपनी ने भारत में डिप्टी कंट्री मैनेजर के तौर पर नियुक्त किया है. शिवकुमार एक ट्रक ड्राइवर के बेटे हैं और शुरू से ही वो अपने गरीब परिवार के गुजर बसर में भूमिका अदा करते थे. शिव पहले रेड लाइट्स पर फूल बेचते थे और बाद में उन्हें अखबार बांटने का काम मिल गया. इसी दौरान किसी शुभचिंतक ने उनकी प्रतिभा को पहचान कर उनकी पढ़ाई में मदद की.
2012 में कैट पास करने के कारण आईआईएम कोलकाता ने उनकी फीस माफ कर दी, जिसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत की और आखिरकार उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई जिसकी बदौलत उन्हें जर्मन रॉकेट इंटरनेट में नौकरी मिली.
अपनी इस सफलता के बाद उनका कहना है कि 'इससे ज्यादा मैं और क्या मांगता. कंपनी नई है लेकिन मेरे अंदर का उद्यमी ऐसी जगह काम करके खुश होगा. यह कंपनी नई है और ये ई कॉमर्स से जुड़ी जो इस वक्त सबसे ज्यादा फल-फूल रहा है. कंपनी में मुझे बड़ी जिम्मेदारी मिली है.'
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