दिल्ली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने मनमोहन सिंह समेत छह लोगों को बतौर आरोपी समन जारी किया.
नई दिल्ली। कोयला घोटाले की कालिख में अब मिस्टर क्लीन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी घिरते नजर आ रहे हैं। दिल्ली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने मनमोहन सिंह समेत छह लोगों को बतौर आरोपी समन जारी किया है। इनमें जानेमाने उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख भी शामिल हैं। इन लोगों को भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आपराधिक साजिश और विश्वासघात की धाराओं के तहत 8 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर होना है। नरसिम्हा राव के बाद ये दूसरा ऐसा मामला है जब भ्रष्टाचार के किसी मामले में कोर्ट ने किसी पूर्व प्रधानमंत्री को बतौर आरोपी समन किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में आरोपी के तौर पर पेश होना पड़ेगा। उन्हें पेशी के समन भेजे गए हैं। मनमोहन सिंह के अलावा उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख और तीन अन्य की भी पेशी होगी। इनमें हिंडाल्को और इसके अधिकारियों शुभेंदु अमिताभ और डी भट्टाचार्य बतौर आरोपी शामिल हैं।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आईपीसी की धारा-120 बी (आपराधिक साजिश), 409 (आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (पीसीए) के तहत 8 अप्रैल को पेश होना है। दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम आजीवन कारावास की सजा तक मुमकिन है।
इस कानूनी केस पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं इस देश की न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास रखता हूं। मुझे पूरा भरोसा है, मैं निर्दोष साबित हो जाऊंगा। मैंने सीबीआई के सामने अपनी बात रख दी है। और प्रधानमंत्री के तौर पर भी मैंने एक स्टेटमेंट जारी किया था। ये मामला ओडिशा के तेलीबाड़ा दो में 2005 के दौरान हिंडाल्को को आबंटित कोयला खदान से जुड़ा है। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा पहली नजर में ये साफ हो गया है कि इस मामले में रची गई आपराधिक साजिश की शुरुआत हिंडाल्को के शुभेंदु अमिताभ, डी भट्टाचार्य और कुमार मंगलम बिड़ला ने की। उसके बाद कोयला सचिव पीसी पारेख और तत्कालीन कोयला मंत्री मनमोहन सिंह को भी इसमें शामिल कर लिया गया। कोर्ट ने कहा कि मनमोहन सिंह ने ही कोयला मंत्रालय को अपने पास रखने का फैसला किया था इसलिए वो ये दावा नहीं कर सकते कि बतौर प्रधानमंत्री उनसे ये अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वो व्यक्तिगत तौर पर सभी फाइलों और मामलों पर नजर रख सकें। कोर्ट के मुताबिक इस मामले के जल्दी निपटाने के लिए पीएमओ की तरफ से लगातार दिए जा रहे रिमाइंडर और कोयला मंत्री को किये जाने वाले फोन इशारा करते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय इसमें जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी ले रहा था।
कोर्ट का आदेश आने के बाद हिंडालको और और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने कहा कि मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा। ये कोर्ट की अवमानना होगी। ये मेरे लिए सरप्राइज है। मैंने हमेशा इन्वैस्टिगेशन में सपोर्ट किया है। मैंने पूरी डिटेल्स सीबीआई के सामने रख दी थी। मुझे अभी तक कोई आधिकारिक कुछ नहीं मिला है। मैंने हमेशा कहा है कि इसमें कुछ गलत नहीं हुआ। मैंने कभी नहीं कहा कि पीएम ने गलत निर्णय लिए था। एक सचिव के तौर पर आप केवल सलाह देते हो, निर्णय नहीं लेते हो। मंत्रालय निर्णय लेता है।
हिंडाल्को ये स्पष्ट करना चाहता है कि उसके चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने या किसी भी अधिकारी ने कोयला खदान हासिल करने के लिए किसी भी गैरकानूनी या अनैतिक तरीके का इस्तेमाल नहीं किया है। कंपनी ने कोयला खदान की दावेदारी में पूरी पारदर्शिता बरती है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है। हिंडाल्को ट्रायर कोर्ट का आदेश का अध्य्यन करेगी और जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इस केस को लड़ेगी।
गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। जिसे स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने पिछले साल 16 दिसंबर को सीबीआई को आदेश दिया था कि वो इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ तत्कालीन आला अधिकारियों से पूछताछ करे। कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मनमोहन सिंह से उनके घर जाकर पूछताछ भी की थी। इसके पहले भ्रष्टाचार के मामले में अभी तक सिर्फ एक पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को कोर्ट ने समन किया था। मनमोहन सिंह को समन किये जाने और कोर्ट की तीखी टिप्पणी ने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है।
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