जयपुर। अधिकतर राजनीतिज्ञ अपने बच्चों को राजनीति में ही लाना चाहते हैं, फिर चाहे उनमें योग्यता हो या ना हो। लेकिन राजस्थान के एक भारतीय जनता पार्टी के विधायक कहते हैं कि उनका बेटा चपरासी बनने लायक है, लिहाजा उसे वही बनना चाहिए। बीजेपी विधायक हीरालाल वर्मा नहीं चाहते कि उनका आठवीं पास बेटा हंसराज राजनीति में आए। वह चपरासी के काम के लिए ठीक है। शुक्रवार को अजमेर कृषि उपज मंडी समिति में अन्य उम्मीदवारों के साथ हंसराज ने भी चपरासी पद के लिए इंटरव्यू दिया। वर्मा ने कहा कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी है और उन्हें आशा है कि हंसराज चुन लिया जाएगा।
जब साथी विधायकों ने हंसराज द्वारा चपरासी पद के आवेदन पर सवाल उठाए तो वर्मा ने कहा कि यह असामान्य आवश्यकता है, मगर न तो पाप है और न ही इसमें कुछ गलत है। आखिरकार यह ईमानदार जीवन जीने का मामला है। वे अपने बच्चों को विलासितापूर्ण जीवन जीने के लिए गलत तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेंगे। टोंक जिले से दो बार विधायक रहे वर्मा खुद तीन विषयों में स्नातकोत्तर हैं। वे समाज कल्याण विभाग में उप संचालक भी रह चुके हैं। वे तीन विषयों में पोस्ट ग्रैजुएट हैं और पढ़ाई में गोल्ड मेडलिस्ट तक रह चुके हैं।
वर्मा का सबसे ब़ड़ा बेटा पार्षद रह चुका है। फिलहाल वह अपना व्यापार कर रहा है। एक अन्य बेटा स्नातक है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। एक मात्र बेटी बीएड की छात्रा है। वर्मा ने कहा कि सबसे छोटा बेटा कम पढ़ा-लिखा है और चपरासी जैसे काम के ही योग्य है। वर्मा नहीं चाहते कि उनका यह बेटा ऐसा कोई काम करे जो उसकी योग्यताओं और क्षमताओं से बाहर हो। वर्मा ने कहा कि हंसराज निवाई में एक क्लीनिक पर काम करता है जहां उसे पांच हजार रुपए मिलते हैं। वह दसवीं भी पास नहीं कर सका, लिहाजा सरकारी चपरासी बनना ही उसके पास बेहतर विकल्प है। वर्मा ने कहा कि वे जानते हैं कि सरकारी नौकरी से उसका भविष्य सुरक्षित रहेगा।
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