महिला सुरक्षा कानून के प्रावधान !

महिला सुरक्षा कानून के प्रावधान !

देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बनाए गए महिला सुरक्षा बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को इस बिल पर हस्ताक्षर कर दिए. इसके साथ ही ये बिल अब कानून बन गया है.

गौरतलब है कि दिल्ली गैंगरेप के बाद महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसके चलते कई सामाजिक संगठनों ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून की मांग की थी. आज से लागू नए बिल में न केवल साधारण यौन अपराधों की सजा बढ़ाई गई है बल्कि बलात्कार मामले में न्यूनतम 20 वर्ष और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा महिला के संवेदनशील अंगों से छेड़छाड़ को बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है. नए कानून के तहत सरकार ने महिलाओं से जुड़े अपराधों को वर्गीकृत कर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान रखा है.

नये बिल में क्या है प्रावधान

1. बलात्कार मामले में न्यूनतम 20 वर्ष और अधिकतम मौत की सजा.

2. महिला के संवेदनशील अंगों से छेड़छाड़ भी माना जाएगा बलात्कार. ऐसे मामलों में कम से कम 20 साल और अधिकतम ताउम्र कैद.

3. तेजाब हमला करने वालों को मिलेगी 10 साल की सजा.

4. ताकझांक करने, पीछा करने के मामले में दूसरी बार नहीं मिलेगी जमानत, बार-बार पीछा करने पर अधिकतम पांच साल सजा.

5. सहमति से सेक्स की उम्र 18 साल ही रहेगी.

6. सजा के अतिरिक्त दुष्कर्म पीड़ित के इलाज के लिए अभियुक्त पर भारी जुर्माने का भी प्रावधान.

7. महिला के कपड़े फाड़ने पर भी सजा का प्रावधान.

8. धमकी देकर शोषण करने के लिए सात से दस साल कैद तक की सजा.

9. बलात्कार के कारण हुई मौत या स्थायी विकलांगता आने पर आरोपी को मौत की सजा.

10. बलात्कार के मामलों की सुनवाई में महिला के बयान या पूछताछ के दौरान मजिस्ट्रेट असहज करने वाले सवाल नहीं पूछ पाएंगे. इसके अलावा इस दौरान आरोपी पीड़ित महिला के सामने मौजूद नहीं रहेगा.

तेजाब हमलों पर भी कड़ी सजा

तेजाब हमलों पर भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. इस मामले में उम्रकैद की सजा के प्रावधान को हटा लिया गया है. नये कानून के मुताबिक महिला पर तेजाब से हमला करने वालों को 10 साल की सजा मिलेगी. ताकझांक करना, पीछा करना और घूरना अब जमानती अपराध की श्रेणी में रखे गए हैं.

कानून के दुरुपयोग की आशंका

महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए इस कानून का प्रारूप तैयार करने के लिए सरकार ने महिला समूहों और सभी दलों के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों की राय ली है. हालांकि चर्चा के दौरान कई दलों ने इसके व्यापक दुरुपयोग की आशंका जताई लेकिन एक भी दल ने इसका विरोध नहीं किया. विधेयक में बलात्कार की नई परिभाषा तय करने के साथ ही ऐसे मामलों में मुकदमे की प्रक्रिया को व्यावहारिक और आसान बनाया गया है.

महिला सुरक्षा कानून के तहत अन्य कानूनों में बदलाव

बलात्कार के अलावा यौन अपराधों से जुड़े अन्य मामलों में कड़ी सजा के प्रावधान के लिए इस कानून के जरिए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता 1973, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में जरूरी संशोधन भी किया गया है।                          

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