नई दिल्ली. 251 रुपए में फ्रीडम मोबाइल देने का वादा करने वाली कंपनी रिंगिंग बेल्स के डायरेक्टर मोहित गोयल को गाजियाबाद पुलिस ने गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया। उन पर एक फर्म के साथ मोबाइल की डिलिवरी को लेकर 16 लाख की धोखाधड़ी का आरोप है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। कंपनी ने दावा किया था कि 7 करोड़ लोगों ने फ्रीडम मोबाइल के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। जिनमें से करीब 30,000 ने फोन बुक किया था। कंपनी की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन बुकिंग बंद हो चुकी है। क्या है मामला...
डिप्टी एसपी मनीष मिश्रा ने बताया कि केस की जांच के लिए मोहित गोयल को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया।
- गाजियाबाद की फर्म अयाम इंटरप्राइजेज ने शिकायत में कहा कि कंपनी ने नवंबर, 2015 में फ्रीडम 251 के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए उन्हें अप्रोच किया था।
- एफआईआर में डीलर ने आरोप लगाया, "हमने कई मौकों पर RTGS के जरिए रिंगिंग बेल्स को 30 लाख रुपए दिए। लेकिन कंपनी की ओर से सिर्फ 13 लाख का ही माल दिया गया, जो कैश और सामान मिलाकर कुल 14 लाख का होता है।"
- फर्म के मालिकों ने कहा है कि बकाया 16 लाख मांगने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।
नोएडा की कंपनी है रिंगिंग बेल्स
- बता दें कि नोएडा की कंपनी रिगिंग बेल्स तब सुर्खियों में आई थी, जब उसकी ओर से वेबसाइट पर फरवरी, 2016 में सिर्फ 251 रुपए में मोबाइल बुक कराए जा रहे थे।
- कंपनी पहली बार विवादों में नहीं है। नवंबर में भी कंपनी ने 251 रुपए वाले 2 लाख फोन डिलिवर करने का दावा किया था। हालांकि, उसकी यह बात साबित नहीं हो पाई।
- कंपनी पहली बार विवादों में नहीं है। नवंबर में भी कंपनी ने 251 रुपए वाले 2 लाख फोन डिलिवर करने का दावा किया था। हालांकि, उसकी यह बात साबित नहीं हो पाई।
- पोंजी स्कैम के आरोप लगने पर रिंगिंग बेल्स ने कहा था कि 7 करोड़ लोगों ने फ्रीडम मोबाइल के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। जिनमें से करीब 30,000 ने फोन बुक किया था।
राज्यसभा में मामला उठा तो शुरू हुई थी जांच
- फ्रीडम 251 के बारे में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने बड़े स्कैम की आशंका जताई और सरकार से मिलीभगत के आरोप लगाए थे।
- मामला गरमाने पर कंपनी ने दावा किया था कि वह जल्द ही अपने कस्टमर्स को मोबाइल की डिलेवरी करा देगी।
- इसके बाद पुलिस और ईडी ने मामले की पड़ताल शुरू की और कंपनी के प्रमोटर अंडरग्राउंड हो गए थे।
- कुछ दिन बाद ही कंपनी के खिलाफ शिकायतों का दौर शुरू हो गया और इसके नोएडा ऑफिस पर भी ताला लटक गया था।
- इसके बाद पुलिस और ईडी ने मामले की पड़ताल शुरू की और कंपनी के प्रमोटर अंडरग्राउंड हो गए थे।
- कुछ दिन बाद ही कंपनी के खिलाफ शिकायतों का दौर शुरू हो गया और इसके नोएडा ऑफिस पर भी ताला लटक गया था।
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