नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति एके सीकरी ने कहा कि बच्चे पैदा करना या गर्भपात कराना या गर्भधारण रोकना ये सब तय करना महिला की पसंद पर है। यह उसका अधिकार है।
उन्होंने कहा कि देश में जब हम प्रजनन अधिकारों की बात करते हैं तब पाते हैं कि इसका चुनाव करना महिला के पास कम ही होता है। आश्चर्य है कि 21 वीं शताब्दी में भी हम महिलाओं को मानवता का फल दिलाने में सक्षम नहीं हो सके।
न्यायमूर्ति सीकरी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रजनन अधिकार वास्तव में मानवाधिकार है और यह इंसान के मान-सम्मान पर आधारित है। जब हम प्रजनन अधिकारों की बात करते हैं तब इससे महिलाओं का एक अन्य अधिकार जुड़ता है और वह है सेक्सुअल अधिकार।
भारत में परिवार में कब बच्चा हो यह पति की पसंद या बुजुर्गों के कहने पर होता है। साथ ही यह भी कि लड़का हो या लड़की। उन्होंने कहा कि जब हम समानता की बात करते हैं तब महिला को अपने पार्टनर के साथ मिलकर फैसला लेने का अधिकार होना चाहिए।
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