सोनू निगम के सोशल मीडिया पर किए गए ट्विट के बाद पूरे देश भर के मुसलमान जहां एक ओर उनके खिलाफ नजर आ रहे हैं। यहां तक कि एक मौलवी ने तो उनके खिलाफ फतवा तक जारी कर दिया था। लेकिन वहीं दूसरी ओर मुंबई का रहने वाला एक मुसलमान शख्स ऐसा भी हैं जो लाउडस्पीकर के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। जी हां, एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में मुंबई के रहने वाले मोहम्मद अली उर्फ बाबूभाई ने बताया कि लाउडस्पीकर के खिलाफ 20 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। आपको बता दें कि बाबूबाई की उम्र 66 साल है, जो कि एक नवाजी मुसलमान हैं। बाबूभाई का कहना है कि लाउडस्पीकर से दी गई अजान गैरस्लामिक है। उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर 100 साल से आया है, जबकि इस्लाम धर्म 1400 साल पुराना है जो कि मुकम्मल है।
बाबूभाई लाउडस्पीकर का खुलकर विरोध करते हैं। उन्होंने लाउडस्पीकर दी गई अजाम को बंद कराने के लिए हाईकोर्ट में पिटीशन भी दायर की थी, लेकिन उनके पास कम पैसे थे, लिहाजा इस वजह से उन्होंने इस मामले पर खुद ही पैरवी की। बकौल बाबूभाई लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जाना धर्म का हिस्सा नहीं है और न ही इसे हटाने से धर्म पर किसी तरह का खतरा है। उन्होंने कहा कि धर्म लगड़ा नहीं है, जिसे बैसाखी देकर ताकतवर बनाया जाए। बाबू ने इस लड़ाई को जारी रखने के लिए धर्मग्रंथ के साथ मौलवियों के 64 फतवे भी खोज निकाले हैं। उन्होंने बताया कि उनकी लड़ाई धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि धर्म के नाम पर डेली रुटीन में जोड़ी गई अतिरिक्त और गैरजरूरी बातों के खिलाफ है। धर्म पहले से ही बेहद मजबूत है, जिसकी बुनियाद को किसी लाउडस्पीकर की जरूरत नहीं है।
बाबूभाई ने अपनी बात रखने के लिए किसी सोशल मीडिया का सहारा न लेकर कानून पर भरोसा रखकर इसे आगे जारी रखा है। लिहाजा अब वे इस लड़ाई में जीत गए हैं, इसलिए ये फैसला भी देश में लागू हो चुका है।धर्मस्थलों पर बजते लाउडस्पीकर को लेकर सुनवाई के दौरान मुंबई हाईकोर्ट ने अगर्स 2016 में फैसला भी सुनाया था कि कहीं भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रात दस से सुबह 6 के बीच करने वालों पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना और पांच साल तक की जेल होगी। लेकिन वाबजूद इसके पूरे देश के धार्मिक स्थलों पर लाउड स्पीकर चलता है।
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